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सख़्त कार्रवाई हो रामदेव के खिलाफ़

अपना शरबत बाज़ार में उतारने के बाद पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव की ओर से इसी महीने की शुरुआत में दिए गए साम्प्रदायिकता व नफ़रत फैलाने वाले बयान पर बेशक दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को उन्हें जोरदार फटकार लगाते हुए कहा हो कि, 'इससे अदालत की अंतरात्मा को झटका लगा है

सख़्त कार्रवाई हो रामदेव के खिलाफ़
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अपना शरबत बाज़ार में उतारने के बाद पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव की ओर से इसी महीने की शुरुआत में दिए गए साम्प्रदायिकता व नफ़रत फैलाने वाले बयान पर बेशक दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को उन्हें जोरदार फटकार लगाते हुए कहा हो कि, 'इससे अदालत की अंतरात्मा को झटका लगा है। इसे माफ नहीं किया जा सकता,' पर सवाल यह है कि क्या खुद रामदेव इस बात को महसूस करेंगे कि वे अपने व्यवसायिक लाभ के लिये समाज को किस कदर बांट रहे हैं? इसके साथ ही सवाल यह भी है कि क्या सत्ता के नज़दीक होने का अर्थ यह है कि कोई भी रसूखदार कानूनों की परवाह किये बिना मर्जी के मुताबिक बयानबाजी करे? अब देखना यह होगा कि अदालत बाबा रामदेव के खिलाफ सख्त कार्रवाई करती है या फिर उन्हें मात्र चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। अदालत ने उन्हें अपने विवादास्पद वीडियो हटाने तथा भविष्य में ऐसे बयान न देने की सख्त ताकीद दी है। मामले की अगली सुनवाई 1 मई को निर्धारित की गयी है। रामदेव के वकील को भी उपस्थित रहने के लिये कहा गया है। जस्टिस अमित बंसल ने सख्त आदेश देने की चेतावनी भी दी।

उल्लेखनीय है कि आयुर्वेदिक दवाएं बनाने वाले पतंजलि के संस्थापक व योग गुरु रामदेव ने 3 अप्रैल को अपना शरबत लॉंच करते हुए एक वीडियो एक्स पर पोस्ट किया था। इसमें वे अपने नये उत्पाद के प्रदर्शन के साथ यह कहते सुने गये- 'एक कंपनी शरबत बनाती है। उससे जो पैसा मिलता है उससे मदरसे और मस्जिदें बनती हैं। अगर आप वो शरबत पिएंगे तो मस्जिद और मदरसे बनेंगे।' रामदेव ने यह भी कहा कि 'अगर आप पतंजलि का शरबत पिएंगे तो गुरुकुल बनेंगे, आचार्य कुलम बनेगा। पतंजलि विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षा बोर्ड आगे बढ़ेगा। मैं कहता हूं कि ये शरबत जिहाद है। जैसे लव जिहाद और वोट जिहाद चल रहा है, वैसे ही 'शरबत जिहाद' भी चल रहा है।' उनका इशारा प्रसिद्ध शरबत रूह आफज़ा बनाने वाली कम्पनी हमदर्द की ओर था।

उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उनके पक्ष-विपक्ष में बयानों व प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गयी थी। रूह आफज़ा, जिसे 1907 में हकीम हाफिज अब्दुल मजीद ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में बनाया था पीलीभीत के पंजाबियां मोहल्ले के निवासियों ने रामदेव के बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा, 'रूह आफज़ा एक ऐसा पेय है जो हर धर्म के लोगों के दिलों को ठंडक देता है। इसे धार्मिक रंग देना गलत है।'

हालांकि विवाद बढ़ने पर रामदेव ने 12 अप्रैल को एक और वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने कहा कि, 'मैंने एक वीडियो डाला। उससे सबको मिर्ची लग गई। मेरे खिलाफ हजारों वीडियो बनाए गए। कहा जाने लगा कि मैंने शरबत जिहाद का नया शिगूफा छोड़ दिया। अरे मैंने क्या छेड़ा? ये तो है ही। लव जिहाद, लैंड जिहाद, वोट जिहाद, बहुत तरह के जिहाद चलाते हैं ये लोग। मैं यह नहीं कह रहा कि वे आतंकवादी हैं, लेकिन इतना जरूर है कि उनकी इस्लाम के प्रति निष्ठा है।'

अपना उत्पाद बेचने के लिये एक प्रतिष्ठित कम्पनी को यूं बदनाम करने की रामदेव की यह हरकत अधिकतर लोगों को पसंद नहीं आई थी। लोगों ने न केवल दोनों के उत्पादों की तुलना करते हुए रूह आफज़ा को बेहतर बतलाया बल्कि उन सारी सामाजिक कल्याण की गतिविधियों को भी सामने लाया जिनका संचालन हमदर्द कम्पनी करती है। रामदेव के खिलाफ मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दिल्ली के एक थाने में तो रिपोर्ट लिखाई ही, खुद हमदर्द कम्पनी ने न्यायालय का रूख किया था। कम्पनी के सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने इस बयान को 'हेट स्पीच' के समकक्ष बताया और कहा कि यह साम्प्रदायिक विभाजन करने जैसा है। रोहतगी ने आरोप लगाया कि रामदेव ने धर्म के आधार पर हमदर्द कंपनी पर हमला किया है। उनका कहना था कि रामदेव का नाम पर्याप्त मशहूर है और वे दूसरे प्रोडक्ट की बुराई किये बगैर पतंजलि का सामान बेच सकते हैं।

पतंजलि के वकील राजीव नायर ने वादा किया कि ऐसे सभी वीडियो हटा लिये जायेंगे। अदालत ने चेतावनी दी कि, 'रामदेव ऐसी बातें अपने दिमाग तक सीमित रखें। इन्हें जाहिर न करें।' रोहतगी ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों वाले मामले की भी याद दिलाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और उनके भागीदार बालकृष्ण को लोगों से माफी मांगने का आदेश दिया था। दोनों ने कोरोना की अंग्रेजी दवाओं के खिलाफ भी गलत बयान दिए थे। वैसे भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई थी। कोर्ट ने दोनों के माफीनामे स्वीकार करते हुए दोनों के खिलाफ़ दायर अवमानना का मामला बंद कर दिया था।

रामदेव बाबा को योग को लोकप्रिय बनाने का श्रेय तो जाता है लेकिन अपनी व्यवसायिक महत्वाकांक्षाओं तथा भारतीय जनता पार्टी की सरकारों से मिलने वाले अनपेक्षित लाभों के कारण वे विवादग्रस्त हो चुके हैं। उनकी पतंजलि कम्पनी आयुर्वेदिक दवाओं के साथ-साथ खान-पान की सामग्रियों, सौंदर्य प्रसाधनों और यहां तक कि जीन्स भी बनाती है। देश भर की सैकड़ों दुकानों एवं मेडिकल स्टोर्स में कम्पनी के उत्पाद बड़े पैमाने पर बिकते हैं। पतंजलि के उत्पाद कई राज्यों में बनते हैं। सत्ता से मिली शह के चलते रामदेव का कद इतना बड़ा हो गया है कि अधिकांश राज्यों में उन्हें एक तरह से राज्य अतिथि का दर्जा मिलता है और उन्हें जो भी सुविधाएं उनके व्यवसायिक कार्यों के लिये चाहिये होती हैं, वे चुटकी बजाते उपलब्ध हो जाती हैं। उनके अनेक उत्पाद गैर मानक घोषित किये जा चुके हैं लेकिन रामदेव किसी कार्रवाई की चिंता से मुक्त होकर अपने व्यवसाय का संचालन बेखटके करते हैं। उनके औद्योगिक साम्राज्य का सतत विस्तार हो रहा है। 2011 में समाजसेवी अन्ना हजारे के चलाये लोकपाल आंदोलन में अग्रणी रहे रामदेव अपना माल बेचने के लिये किसी भी स्तर तक जाते रहे हैं जिस पर लगाम ज़रूरी है।


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