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सातार नदी के तट पर जन-आंदोलन की रणनीति बनेगी

आजादी के सेनानी चंद्रशेखर आजाद की अज्ञातवास काटने का गवाह है ओरछा के सातार नदी का तट।

सातार नदी के तट पर जन-आंदोलन की रणनीति बनेगी
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ओरछा। आजादी के सेनानी चंद्रशेखर आजाद की अज्ञातवास काटने का गवाह है ओरछा के सातार नदी का तट। उसी स्थान पर रविवार से देश भर के सामाजिक कार्यकर्ता जन-आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए जमा हो रहे हैं। यह सम्मेलन दो दिन तक चलेगा।

जल-जन जोड़ो अभियान के संयोजक संजय सिंह ने बताया कि यह दो दिवसीय सम्मेलन है। इस सम्मेलन का रविवार को 11 बजे उद्घाटन होगा। इस सम्मेलन में एकता परिषद के प्रमुख पी वी राजगोपाल और जलपुरुष राजेंद्र सिंह के अलावा देश भर से करीब तीन सौ सामाजिक कार्यकर्ता हिस्सा ले रहे हैं।

सिंह के अनुसार, पहले दिन अर्थात रविवार को बुंदेलखंड के हालात पर चर्चा होगी। इसके अलावा बुंदेलखंड, ग्वालियर, चंबल संभाग के जिलेवार हालात पर विभिन्न विशेषज्ञ अपनी राय रखेंगे। सम्मेलन के दूसरे दिन सामाजिक आंदोलन में सोशल मीडिया की भूमिका, देश में जल और पर्यावरणीय संकट पर चर्चा होगी। इसके साथ मध्य प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में सामाजिक आंदोलन की क्या भूमिका हो सकती है, इस पर मंथन किया जाएगा। समापन के मौके पर आगामी जन-आंदोलन पर रणनीति बनाने के साथ जिम्मेदारियों को सौंपा जाएगा।

ज्ञात हो कि, सातार नदी के तट पर चंद्रशेखर आजाद ने आजादी की लड़ाई के दौरान अज्ञातवास काटा था। यह स्थान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित टीकमगढ़ जिले की धार्मिक नगरी ओरछा में स्थित है।


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