एसटीपी की क्षमता होगी दोगुनी
शहर से निकलने वाले सीवरेज को ट्रीट करके न सिर्फ उसका निस्तारण बल्कि इससे बिजली बनाए जाने की योजना पर नोएडा प्राधिकरण ने कार्य शुरू कर दिया है

नोएडा। शहर से निकलने वाले सीवरेज को ट्रीट करके न सिर्फ उसका निस्तारण बल्कि इससे बिजली बनाए जाने की योजना पर नोएडा प्राधिकरण ने कार्य शुरू कर दिया है। योजना के तहत दो एसटीपी का क्षमता को बढ़ाकर दोगुना कर दिया जाएगा। क्षमता बढ़ाने के साथ सीवरेज के ट्रीटमेंट के लिए जिस तकनीक का प्रयोग किया जाएगा, उससे एसटीपी का बिजली का बिल भी करीब 60 प्रतिशत कम हो जाएगा।
वहीं वर्ष 2025 तक की आबादी के लिहाज से सीवरेज को ट्रीट किए जाने की क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) भी दो वर्ष में तैयार कर लिए जाएंगे।
नोएडा प्राधिकरण के इस समय चार एसटीपी हैं। इसमें से सेक्टर-54 के एसटीपी की क्षमता 87 मिलियन लीटर डेली (एमएलडी) सीवरेज के ट्रीटमेंट की है। सेक्टर-50 स्थित एसटीपी की क्षमता 59 एमएलडी की है। सेक्टर-123 में चालू किए गए एसटीपी की क्षमता 35 एमएलडी और सेक्टर-168 के एसटीपी की क्षमता 50 एमएलडी है। इनमें से सेक्टर-123 के एसटीपी की क्षमता को बढ़ाकर 80 और सेक्टर-168 के प्लांट की क्षमता को बढ़ाकर 100 एमएलडी किया जाना है।
इसके लिए प्राधिकरण ने कार्य शुरू कर दिया है। दोनों प्लांट की क्षमता बढ़ाने के साथ सीवरेज के ट्रीटमेंट के लिए सीक्वेंशियल बैच रिएक्टर तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इस तकनीक के प्रयोग करने से सीवरेज के ट्रीटमेंट के दौरान मीथेन गैस बनती है। जिससे बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इस तकनीक का प्रयोग किए जाने से सीवरेज ट्रीटमेंट के प्रयोग होने वाली बिजली की खपत करीब 50 प्रतिशत कम हो जाएगी। वहीं मीथेन गैस से जो बिजली बनेगी, उससे एसटीपी के संचालन व अन्य कार्यों में प्रयोग होने वाली करीब 10 प्रतिशत बिजली का उत्पादन किया जाएगा।
जिससे प्लांट के संचालन में करीब 60 प्रतिशत बिजली की खपत कम हो जाएगी। वहीं इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि सीवरेज के ट्रीटमेंट के बाद निकलने वाले वेस्ट की मात्रा में करीब 70 प्रतिशत कम हो जाएगी। जिससे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले कूड़े व गंदगी की मात्रा में भी भारी कमी आएगी।
इन एसटीपी की क्षमता बढ़ाने में करीब दो वर्ष का समय लगेगा और करीब 270 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। एसटीपी की क्षमता बढ़ने के बाद प्राधिकरण के पास वर्ष 2025 तक के सीवरेज को ट्रीट करने की क्षमता उपलब्ध हो जाएगी। जिससे निकट भविष्य में सीवरेज के ट्रीटमेंट की समस्या खड़ी नहीं होगी। वहीं शहर से निकलने वाले सौ प्रतिशत सीवरेज को ट्रीट करने वाले शहरों में भी नोएडा शामिल हो जाएगा।


