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संवेदना एवं आत्मीयता के धागों से बुनी गयी कहानियां

देहरादून रहवासी कथाकार जितेन्द्र शर्मा का पांचवां कहानी संग्रह 'चुनी हुई कहानियां' प्रकाशित हुआ है जो इस समय चर्चा के केंद्र में है

संवेदना एवं आत्मीयता के धागों से बुनी गयी कहानियां
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- प्रमोद दीक्षित मलय

देहरादून रहवासी कथाकार जितेन्द्र शर्मा का पांचवां कहानी संग्रह 'चुनी हुई कहानियां' प्रकाशित हुआ है जो इस समय चर्चा के केंद्र में है। इस संग्रह में कुल 17 कहानियां हैं जो बीते पचास साल के सामाजिक जीवन के ताने-बाने का खाका खींचते तत्कालीन समय का प्रतिनिधित्व करती हैं। इन कहानियों में रोजमर्रा की ज़िंदगी की पेचीदगियों से जूझते परिवार हैं तो अकेलेपन को ढोते वृद्ध दम्पति भी। प्रेम का कोमल स्वर है तो आक्रोश की आग भी।

जीवन के सभी रंग अपनी उपस्थिति से अद्भुत छटा बिखेर रहे हैं। इन कहानियों के पात्र हमारे अपने परिचित से लगते हैं जिनसे हमारा रोज का सामना होता है। इन पात्रों में रोबीले व्यक्तित्व का मालिक कप्तान सिंह है तो घरों में झाड़ू पोंछा करने वाली पार्वती भी। मस्तमौला गैरजिम्मेदार एंग्लो इंडियन युवा पीटर है तो अपने ही चुने रास्ते की चुनौतियों से जूझती गुड़िया भी। अमेरिकी जीवन शैली में घुला-मिला जसवंत सिंह है तो वहीं भारत में अपनी संस्कृति एवं सभ्यता की जड़ें तलाशता सुब्रत बनर्जी भी। संकट में अवसर खोजने में कुशल मुखौटे चेहरे वाला प्रोफेसर कश्यप हो या फिर उम्र के चौथेपन में एकाकी खड़े वर्मा एवं खंडेलवाल हों। जीवन में सत्य के पक्षधर आदर्शवादी शिक्षक चांद नारायण शुक्ला हों या फिर अपने गांव की माटी में रमी रामेश्वरी?। सब अपने परिवार-पड़ोस के चीन्हे-जाने से लगते हैं।

पाठक कहानियां पढ़ते हुए कभी अतीत की यात्रा पर निकल जाता है तो कभी वर्तमान के साथ कदमताल भी करता है। इन कहानियों में कहीं प्रेम के बीज से जीवन झांकता है तो कहीं कोई छोटी-छोटी बिखरी खुशियों को बटोर गठरी बांधती है। कहानियों की बात करूं तो आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाती कहानी 'कदमताल' भीख देने की बजाय काम देने की पैरवी करती है।

जीवन के कड़वे यथार्थ से रूबरू कराती है कहानी 'कितने ग्रहण' जिसमें प्रेम विवाह कर दो साल बाद पति द्वारा दूसरी शादी कर विदेश चले जाने से उपजे अवसाद, निराशा और वेदना से युक्त युवती का कातर स्वर सुनाई देता है। 'जब सपने बदलते हैं' एक युवक का प्यार में टूटने और पुरुष सत्ता का विद्रूप चेहरा भी उजागर करती है जिसमें युवक अपनी मंगेतर का किसी अन्य युवक से बात करना बर्दाश्त न कर शादी तोड़ने का दृश्य सवाल खड़े करता है। भावुकता, आत्मीयता, सम्बन्धों की बजाय कैरियर को महत्व देती नयी पीढ़ी की सोच का सच परोसती 'उसका आसमान' किशोरों के व्यावहारिक रूप से मजबूत होने का संकेत करती है। 'खुशियों की गंध' अलग मिजाज की कहानी है। इसमें झाड़ू पोंछा करने वाली एक औरत द्वारा अपनी सौतन के पुत्र के प्रति उपजे अथाह प्यार की धारा का प्रवाह है जो पाठक को अंदर तक भिगो जाता है। पहले प्यार के कोमल स्पर्श को महसूसती कहानी 'गन्ने ते गंडेरी मिठ्ठी' पढ़ते हुए लगता है कि जैसे पाठक के ऊपर मौलश्री के सुरभित पुष्प हौले-हौले झर रहे हों।

'प्रवास' अमेरिका में काम कर रहे युवक-युवतियों की अपने देश भारत के प्रति उत्कट प्रेम एवं चाह का प्रकटन है तो वहीं तुलनात्मक रूप से अमेरिका को सभ्य, सुशिक्षित एवं सम्पन्न बताकर भारत के प्रति उपेक्षा भाव का प्रदर्शन भी। 'ढलान का दर्द' आदर्शवादी पिता और बेरोजगार पुत्र के टूटते-जलते सम्बंधों की कहानी है। 'कप्तान सिंह' पुलिस महकमे के एक रिटायर्ड क्लर्क की कहानी है जो बाहर बहुत कड़क लेकिन अंदर दयालु और सबकी मदद करने वाला है। 'चुनी हुई कहानियां' अपने कथानक और कथा कहन शैली से पाठक के हृदय को तृप्त करती हैं। लेखक शब्द संपदा का धनी है तभी देश-काल और परिस्थिति अनुकूल शब्दों का प्रयोग कर कहानी को प्राणवान बना देता है। इन कहानियों में एक लय, प्रवाह और रागात्मकता है।? वाक्य विन्यास सरल और सहज संप्रेषणीय हैं। आवरण जीवन में संतुलन साधने का सुखद संकेत करता आकर्षक बना पड़ा है।
बांदा (उ.प्र.)
मो. 9452085234


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