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योगी, आजम, माया, मेनका के बोलने पर लगी रोक

आम चुनावों में लगातार हो रहे आचार संहिता उल्लंघन का मामला देश की सर्वोच्च अदालत पहुंच गया। कोर्ट में चुनाव आयोग ने कहा कि उसके अधिकार सीमित है

योगी, आजम, माया, मेनका के बोलने पर लगी रोक
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नई दिल्ली। आम चुनावों में लगातार हो रहे आचार संहिता उल्लंघन का मामला देश की सर्वोच्च अदालत पहुंच गया। कोर्ट में चुनाव आयोग ने कहा कि उसके अधिकार सीमित है। वो सिर्फ नोटिस जारी कर सकता है, बार-बार आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा सकता है। उसका कुल अधिकार इतना ही है। लेकिन जैसे ही कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकारों की समीक्षा करने का निर्णय लिया।

आयोग को भी अपने अधिकार का एहसास हो गया। कोर्ट कल चुनाव आयोग के अधिकारों पर सुनवाई करेगा। लेकिन आज चुनाव आयोग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए। लगातार विवादित बयान दे रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती, सपा नेता आजम खान और भाजपा की मेनका गांधी के प्रचार करने पर रोक लगा दी है।

आदित्यनाथ और आजम खान पर तीन दिन और मेनका व मायावती पर 2 दिन तक ये रोक रहेगी। आयोग ने इन चारों नेताओं को 16 अप्रैल को सुबह छह बजे से उन्हें चुनाव प्रचार में भाग लेने, जनसभाएं करने, रोड शो आयोजित करने, मीडिया के सामने बयान देने और साक्षात्कार देने आदि पर रोक लगाई है।

चुनाव आयोग ने योगी आदित्यनाथ को नौ अप्रैल को मेरठ में आपत्तिजनक एवं विवादास्पद भाषण देने के मामले में नोटिस जारी किया था जबकि मायावती को देवबंद में सात अप्रैल को भड़काऊ भाषण देने के मामले में नोटिस जारी किया था। मेनका गांधी का एक वीडिया वायरल हुआ था जिसमें वो मुसलमानों से धमकी भरे अंदाज में वोट मांग रही थी। जबकि आजम खान ने अपनी विरोधी जयाप्रदा को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। आयोग द्वारा लगाई गई ये रोक 16 अप्रैल को सुबह छह बजे से शुरू हो जाएगा। आयोग ने इन दोनों नेताओं के भाषण की वीडियो रेकॉर्डिंग को पूरी तरह से देखने और उसका अध्ययन करने के बाद ही यह कदम उठाया है। गौरतलब है कि योगी ने अपने भाषण में 'हरा वायरस' और 'बजरंगबली' तथा 'अली' का जिक्र किया था।

योगी का भाषण नफरत फैलाने वाला

आयोग ने सोमवार को अपने फैसले में कहा कि योगी का वीडियो देखने के बाद आयोग इस बात पर सहमत हुआ है कि उन्होंने अपने भाषण से सांप्रदायिक सौहार्द्र को भंग करने तथा विभिन्न समुदायों के बीच नफरत फैलाने और उनके बीच मतभेद को बढ़ाने का काम किया है जो कि आदर्श चुनाव आचार संहिता का सरासर उल्लंघन है।


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