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भाजपा व संघ धर्मों के बीच में नफरत फैलाना बंद करे: दिग्विजय सिंह

 मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भाजपा और राष्टीय स्वयं सेवक पर हमला बोला है

भाजपा व संघ धर्मों के बीच में नफरत फैलाना बंद करे: दिग्विजय सिंह
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भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भाजपा और राष्टीय स्वयं सेवक पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि भाजपा व संघ धर्मों के बीच में नफरत फैलाना बंद करे, क्योंकि प्रेम सद्भाव से ही भारत विश्व गुरू बन सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बुधवार केा एक के बाद एक कई ट्वीट किए है। उन्होंने कहा है कि, भाजपा संघ मुझ से क्यों चिढ़ते हैं, क्योंकि में सच्ची सनातनी हिंदू परंपराओं का पालन करता हूं। धर्म को बेंचना बंद करो, धर्म के माध्यम से नफरत फैलाना बंद करो धर्म को बांटना बंद करो , धर्म के आधार पर वोट मॉंगना बंद करो। देश व समाज को जोड़ो तोड़ो मत।''

उन्होंने आगे कहा सनातन धर्म तो इतना व्यापक है कि वह पूरे विश्व को एक कुटुंब मानता है हमारे उद्धघोष में हम कहते हैं प्राणियों में सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो।

दिग्विजय सिंह ने भाजपा और संग से अपील करते हुए लिखा है, मेरी भाजपा व संघ से एक ही प्रार्थना है धर्मों के बीच में नफरत फैलाना बंद करो प्रेम सद्भाव से ही भारत विश्व गुरू बन सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा , '' गॉंधी जी को गोडसे ने क्यों गोली मारी? क्योंकि वे एक सच्चे धार्मिक हिंदू थे और सभी धर्मों का सम्मान करते थे। सत्य प्रेम सद्भाव व अहिंसा का पालन करते हुए नफरत व हिंसा के खिलाफ सत्याग्रह करते थे। गोली लगने के बाद उनके मुँह से जो आखरी शब्द निकला वह हे राम था। उनकी कोई बैठक बिना प्रार्थना के प्रारंभ नहीं होती थी। उनकी रामधुन में 'ईश्वर और अल्लाह दोनों थे। सनातन हिंदू धर्म का मूल आधार सर्व धर्म सम भाव है जो मानवता को जोड़ता है ना कि तोड़ता है।''

उन्होंने आगे कहा ''स्वामी विवेकानंद जी ने भी यही कहा है। अनेक धर्मों के रास्ते अलग होते हैं लेकिन सभी की मंजिल एक है। जिस तरह से सभी नदियों अलग अलग स्थानों से निकलती हुई जाती हैं लेकिन अंत में समुद्र में मिल जातीं हैं। यही सभी धर्मों का मूल उद्देश्य है। समाज में प्रेम सद्भाव सत्य अहिंसा भाईचारा रहे यही सभी धर्म हमें सिखाते हैं। इंसानियत ही धर्म है। हमारे धर्म में हर धार्मिक कार्य के बाद हम कहते हैं। ओम शांति। बिना शांति के न कोई परिवार, न कोई समाज न कोई राष्ट्र प्रगति कर सकता।''


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