पत्थर के प्राचीन सिक्के, हुंमायू, अकबर की मुद्रा, प्लास्टिक के नोटों ने लुभाया
देश की संस्कृति-सभ्यता, डान का परिचय कराती पुराने नोटों व सिक्कों की अनूठी प्रदर्शनी देखने रविवार को सीएडी स्थित लॉयन भवन में काफी भीड़ उमड़ी

आधारशिला विद्या मंदिर व मुद्रा परिषद् की प्रदर्शनी देखने उमड़े लोग
बिलासपुर। देश की संस्कृति-सभ्यता, डान का परिचय कराती पुराने नोटों व सिक्कों की अनूठी प्रदर्शनी देखने रविवार को सीएडी स्थित लॉयन भवन में काफी भीड़ उमड़ी, आधारशिला विद्या मंदिर और मुद्रा परिषद के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस प्रदर्शनी में प्राचीनकाल के सिक्के, धातु, पत्थर से बनी मुद्राएं एवं आधुनिक सिक्के, नोट प्रदर्शित किए गए हैं।
यहां राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर जारी एक, 5, 10, 100 रूपए के सिक्के, उनके साऊथ अफ्रीका से वापस लौटने के सौवें वर्ष पर जारी किए गए 10 व 100 रूपए के सिक्के लोगों के आकर्षक का केंद्र बने रहे। इसी तरह पालीमर (प्लास्टिक) के नोट विदेशी नोटों का अनूठा संग्रह भी नजर आया। ये नोट मैक्सिकों, कोस्टारिका, मारिशस, आस्ट्रेलिया में जारी हुए हैं। इसी तरह वर्तमान में चल रहे सभी भारतीय नोट व सिक्के भी यहां मौजूद रहे। इनमें पिछले वर्ष बंद हो चुके एक हजार व पांच सौ के नोट भी शामिल है। प्राचीनकाल में वस्तु विनिमय के लिए अलग-अलग चीजों का उपयोग किया जाता था, जिनमें कौड़ी, मूंगे, शूंज पत्थर के सील लगी मुद्रा व अन्य वस्तुएं शामिल थी। इन सबका प्रदर्शन लॉयन भवन में हुआ है। लोग गहनता से इसकी जानकारी लेते नजर आए। प्रदर्शनी में एक जगह केवल 10 के नोटों का संग्रह है, जिनमें अभी तक के सभी प्रकार के सिक्के नोटों को शामिल किया गया है।
प्राचीन सिक्कों में सन् 1806 के सिक्के तथा कोलकाता के टकसाल में अंग्रेजों द्वारा ढाले गए सन् 1835 के सिक्के रखे गए हैं। ऐतिहासिक सिक्कों मेुं शाजजहां, अकबर, हुमायूं के शासनकाल के सिक्के लोगों को लुभाते रहे।


