कोरोना के कहर से शेयर बाजार धड़ाम, अगले सप्ताह भी सतर्क रहने की जरूरत
बीते सप्ताह बीएसई का सेंसेक्स 720.67 अंक अर्थात 1.9 प्रतिशत गिरकर 37576.62 अंक पर रहा जबकि इससे पिछले सप्ताह में यह 38297.29 अंक पर रहा था।

मुंबई। चीन के बाहर दुनिया के कई प्रमुख देशों में कोरोना वायरस के तेजी से फैलने के साथ ही निजी क्षेत्र के चौथे बड़े बैंक यस बैंक को रिजर्व बैंक द्वारा प्रतिबंधित किये जाने के कारण बीते सप्ताह शेयर बाजार में करीब दो फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी और अगले सप्ताह भी कोरोना के साथ ही औद्योगिक उत्पादन एवं महंगाई के आंकड़ें बाजार पर असर डाल सकते हैं।
बीते सप्ताह बीएसई का सेंसेक्स 720.67 अंक अर्थात 1.9 प्रतिशत गिरकर 37576.62 अंक पर रहा जबकि इससे पिछले सप्ताह में यह 38297.29 अंक पर रहा था। इसी तरह से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 239.65 अंक अर्थात 1.9 प्रतिशत फिसलकर 10979.55 अंक पर रहा जबकि इससे पिछले सप्ताह में यह 11219.20 अंक पर रहा था। इस अवधि में बीएसई में दिग्गज कंपनियों के साथ ही छोटी और मझौली कंपनियों में भी 2.5 प्रतिशत से अधिक की बिकवाली देखी गयी। मिडकैप 372253 अंक टूटकर 14229.49 अंक पर और स्मॉलकैप 379.21 अंक फिसलकर 13329.78 अंक पर रहा। चीन को छोड़कर इटली, ईरान , दक्षिण कोरिया और भारत सहित कई प्रमुख देशों में काेरोना का संक्रमण तेजी से फैला है। पूरी दुनिया में 100 से अधिक देशों में एक लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और 3600 से अधिक लोग इससे मर चुके हैं। चीन से बाहर 21500 से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और 420 लोगों की मौत हो चुकी है। काेरोना के कहर में तेजी आने का असर अगले सप्ताह भी बाजार की चाल को प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही औद्योगिक उत्पादन और खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर भी निवेशकों की नजर होगी।
यस बैंक को पटरी पर लाने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा किये जा रहे उपायों के मद्देनजर देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक के 2450 करोड़ रुपये के निवेश से इसमें 49 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने और अगले तीन वर्ष में आवश्यकता होने पर 10 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश करने की एसबीआई के अध्यक्ष की घोषणा का असर भी बाजार पर हो सकता है। इससे बाजार में निवेश धारणा को बल मिल सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि काेरोना के संक्रमण के कई प्रमुख देशों सहित दुनिया के 100 से अधिक देशों में फैलने के कारण कच्चे तेल की मांग बहुत घट चुकी है क्योंकि इसके कारण हवाई यात्रा बुरी तरह प्रभावित हुयी है। आर्थिक गतिविधियां भी कई देशों में सुस्त हो चुकी है जिसके कारण तेल की मांग घट गयी है जिससे इसकी कीमतों में गिरावट का रूख बना हुआ है। शेयर बाजार में इसका भी असर दिख सकता है और विदेशी निवेशक बाजार में बिकवाली कर सकते हैं। इसके मद्देनजर छोटे खुदरा निवेशकों से अधिक सतर्कता बरतने और वर्तमान माहौल में बाजार से दूरी बनाये रखने की अपील की गयी है।
सप्ताह के प्रारंभ में बीएसई का सेंसेक्स 153.27 अंक टूटकर 38144.02 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 69 अंक गिरकर 11132.75 अंक पर रहा। बीएसई में दिग्गज कंपनियों की तुलना में छोटी और मझौली कंपनियों में अधिक बिकवाली देखी गयी।
मंगलवार को विदेशों में शेयर बाजार में तेजी के बीच हुई चौतरफा लिवाली से घरेलू शेयर बाजारों में सात दिन की गिरावट का क्रम थम गया और बीएसई का सेंसेक्स 479.68 अंक यानी 1.26 प्रतिशत चढ़कर 38,623.70 अंक पर तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 170.55 अंक यानी 1.53 फीसदी की तेजी के साथ 11,303.30 अंक पर बंद हुआ। पिछले सात कारोबारी दिवसों में सेंसेक्स 3,178.98 अंक (7.69 प्रतिशत) और निफ्टी 993.15 अंक (8.19 प्रतिशत) लुढ़क गया था।बुधवार को देश में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने से घरेलू शेयर बाजारों में निवेश धारणा कमजोर हुई और बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 214.22 अंक यानी 0.55 फीसदी टूटकर 38,409.48 अंक पर तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 49.10 अंक यानी 0.43 प्रतिशत की लुढ़ककर 11,254.20 अंक पर आ गया। गुरूवार को एशियाई बाजारों में रही तेजी के बीच घरेलू स्तर पर टेलीकॉम, टेक और एफएमसीजी कंपनियों में हुयी लिवाली के बल पर शेयर बाजार में तेजी रही। बीएसई का सेंसेक्स 61.13 अंक बढ़कर 38470.61 अंक पर और एनएसई का निफ्टी 18 अंक चढ़कर 11269 अंक पर रहा।
सप्ताहांत पर कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ को लेकर बढ़ी चिंता और यस बैंक में जारी संकट से घरेलू शेयर बाजार ढाई फीसदी की भारी गिरावट के साथ पाँच महीने के निचले स्तर पर बंद हुये। बीएसई का सेंसेक्स 893.99 अंक यानी 2.32 प्रतिशत की गिरावट के साथ 37,576.62 अंक पर आ गया जो पिछले साल 07 अक्टूबर के बाद का निचला स्तर है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 289.45 अंक यानी 2.57 प्रतिशत लुढ़ककर 10,979.55 अंक पर बंद हुआ। यह 19 सितंबर 2019 के बाद का निचला स्तर है।


