स्टील पिकलिंग इकाइयों का काम फिर से शुरू हुआ : लोकाधिकार संगठन
संगठन ने यहां जारी बयान में यह दावा करते हुये कहा है कि ये इकाइयां राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) तथा उच्चतम न्यायालय के आदेशों का खुला उल्लंघन कर रही

नयी दिल्ली । राजधानी के वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में संचालित स्टील पिकलिंग इकाइयों को प्रदूषण के मद्देनजर बंद करने की लड़ाई करने वाले गैर सरकारी संगठन ऑल इंडिया लोकाधिकार संगठन ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार द्वारा सील किए जाने के 10 दिनों बाद ही इन इकाइयों ने फिर से सामान्य कामकाज शुरू कर दिया है।
संगठन ने यहां जारी बयान में यह दावा करते हुये कहा है कि ये इकाइयां राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) तथा उच्चतम न्यायालय के आदेशों का खुला उल्लंघन कर रही हैं। संगठन की टीम ने रात में वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र का निरीक्षण किया ,जिसमें पाया गया है कि कई पिकलिंग इकाइयां चल रही थीं।
संगठन के अध्यक्ष गिरीश कुमार पांडेय ने कहा कि अधिकांश इकाइयों ने सीलिंग के दौरान काटी गई बिजली और पानी की लाइनों को अवैध रूप से बहाल कर लिया है। उन्होंने दिल्ली सरकार से इन अवैध इकाइयों का परिचालन रोकने के लिए अदालत के आदेश का पालन करने की अपील करते हुये कहा कि इन अवैध इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व सीमा से अधिक हैं और आसपास के क्षेत्रों में लोगों के लिए खतरा बने हुये हैं। जन स्वास्थ्य के लिए अच्छा होगा कि इन इकाइयों को स्थायी रूप से सील कर दिया जाए।
उन्होंने कहा कि दिल्लीे सरकार ने गत 11 दिसंबर को एनजीटी में एक रिपोर्ट दी जिसमें पिकलिंग इकाइयों को बंद करने की बात कही गई थी। इस मामले पर 16 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान एनजीटी ने दिल्ली सरकार पर 50 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया था। एनजीटी ने दिल्ली सरकार को तत्काल प्रभाव से वजीरपुर, एसएमए और बादली में स्थित सभी 90 इकाइयों को बंद करने के निर्देश भी दिए थे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र के संबंध में संगठन ने याचिका दायर की थी। इसी याचिका के आधार पर एनजीटी ने यमुना और आसपास के इलाकों में बढ़ते मृदा और जल प्रदूषण पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को अनिवार्य प्रदूषण मानकों का पालन नहीं करने वाले अवैध उद्योगों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। वजीरपुर क्षेत्र में करीब 200 स्टील पिकलिंग इकाइयां हैं जिन पर प्रदूषित जल का ट्रीटमेंट नहीं करने और उसे हानिकारक औद्योगिक तरल प्रदूषित पदार्थ सित यमुना नदी में मिलने वाली खुली नालियों में छोड़ने के आरोप हैं।


