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वोटर आईडी डुप्लीकेसी का मामला, कांग्रेस ने किया बड़ा खुलासा

देश में लोकतंत्र की नींव चुनाव प्रक्रिया पर टिकी होती है, लेकिन अगर वोटर आईडी में ही गड़बड़ी हो, तो सवाल उठना लाज़मी है और अब इसी मुद्दे पर चुनाव आयोग बुरी तरह घिरता हुआ नजर आ रहा है! कांग्रेस ने चुनाव आयोग को सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया है

वोटर आईडी डुप्लीकेसी का मामला, कांग्रेस ने किया बड़ा खुलासा
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नई दिल्ली। देश में लोकतंत्र की नींव चुनाव प्रक्रिया पर टिकी होती है, लेकिन अगर वोटर आईडी में ही गड़बड़ी हो, तो सवाल उठना लाज़मी है और अब इसी मुद्दे पर चुनाव आयोग बुरी तरह घिरता हुआ नजर आ रहा है! कांग्रेस ने चुनाव आयोग को सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया है। सोशल मीडिया पर खुद चुनाव आयोग के पुराने बयान को शेयर करके चुनाव आयोग पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया जा रहा है ये खुलासा कांग्रेस के ईगल ग्रुप ने किया है।

डुप्लीकेट वोटर आईडी कार्ड मामले में कांग्रेस ने नया खुलासा किया है.. कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर जानकारी दी है कि 2008 में खुद चुनाव आयोग ने कहा था कि हर वोटर कार्ड यूनिक है और इसमें डुप्लीकेसी की कोई गुंजाइश नहीं है लेकिन अब कांग्रेस ने कुछ ऐसा बताया है कि जिससे खुद चुनाव आयोग ही घिर गया है।

कांग्रेस ने लिखा-18 सितंबर, 2008 को जारी एक पत्र में चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को बताया कि “मतदाता पहचान पत्र यूनीक हैं. हालांकि, चुनाव आयोग आज कहता है कि डुप्लिकेट मतदाता पहचान पत्रों का मुद्दा ‘दशकों पुराना मुद्दा’ है. भारत के नागरिकों को चुनाव आयोग के किस बयान पर विश्वास करना चाहिए? आज एक औसत भारतीय मतदाता को चुनाव आयोग पर भरोसा क्यों करना चाहिए?

कांग्रेस के नेताओं और विशेषज्ञों के सशक्त कार्य समूह यानी ईगल ने एक बयान में कहा, “कांग्रेस पार्टी चुनाव आयोग द्वारा दिए गए इस कमजोर और ढुलमुल स्पष्टीकरण को खारिज करती है और भारत में मतदाता सूचियों की पवित्रता पर सफाई देने की अपनी मांग दोहराती है.”

बता दें कि ईगल एक आठ सदस्यीय समिति है, जिसे चुनाव आयोग द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के संचालन की निगरानी के लिए कांग्रेस द्वारा गठित किया गया है। ईगल ने कहा कि भारत के चुनाव आयोग ने एक ही मतदाता पहचान पत्र को कई मतदाताओं को आवंटित किए जाने के मुद्दे पर दोहरा जवाब दिया है। अपने जवाब में चुनाव आयोग ने अपनी प्रक्रियाओं के पीछे छिपकर एक कमजोर स्पष्टीकरण दिया है। आश्चर्य की बात नहीं है कि चुनाव आयोग को यह स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा है कि उसकी मतदाता सूचियों में गलतियां हैं वो भरोसेमंद नहीं हैं। यानी देखा जाए तो वोटर आईडी में डुप्लीकेसी के मामले में विपक्ष ने चुनाव आयोग को बुरी तरह से घेर लिया है।


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