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महायुति की जीत ने विपक्ष के सपने को किया चकनाचूर, उद्धव ठाकरे को जनता ने दिखाया सही स्‍थान : अमित शाह

महाराष्ट्र भाजपा की शिरडी में दो दिवसीय राज्य कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है

महायुति की जीत ने विपक्ष के सपने को किया चकनाचूर, उद्धव ठाकरे को जनता ने दिखाया सही स्‍थान : अमित शाह
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शिरडी। महाराष्ट्र भाजपा की शिरडी में दो दिवसीय राज्य कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है। बैठक में भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया।

बैठक में अमित शाह ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत का श्रेय देवेंद्र फडणवीस को दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी की जीत ने विपक्ष के सत्ता में आने के सपने को चकनाचूर कर दिया। बड़ी संख्या में हमारे कार्यकर्ता विधायक और मंत्री बने। हमारे सहयोगी दल शिवसेना और एनसीपी ने भी जीत हासिल की।

महाराष्ट्र की जीत कई मायनों में खास है। महाराष्ट्र की जनता ने शरद पवार को सबक सिखाया और उद्धव ठाकरे की विश्वासघात की राजनीति का बदला लिया। 2019 में हमें धोखा देने वाले, हमारी विचारधारा और बाला साहेब ठाकरे के सिद्धांतों को त्यागने वाले, झूठ और धोखे से मुख्यमंत्री बनने वाले उद्धव ठाकरे को जनता ने उन्हें उनकी सही जगह दिखा दिया है। महाराष्ट्र के लोगों ने तय कर लिया है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना ही बालासाहेब ठाकरे की असली शिवसेना है और अजीत पवार की एनसीपी असली एनसीपी है।

अमित शाह ने आगे कहा कि 1978 से 2024 तक महाराष्ट्र ने अस्थिर राजनीति का प्रभुत्व देखा। देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में अस्थिरता के इस युग को समाप्त किया गया, जिससे स्थिर और मजबूत सरकार का मार्ग प्रशस्त हुआ। हमारी डबल इंजन की सरकार प्रदेश के विकास को लेकर संकल्पित है।

हमने 2014 से 2024 तक इस देश के लोगों से अनगिनत वादे किए और हर वादे पूरा किया। कल ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को एक साल पूरा हुआ। 500 साल से अधिक समय तक रामलला तंबू में विराजमान रहे, लेकिन पीएम मोदी ने मंदिर बनाने का वादा पूरा किया। हमने आर्टिकल 370 हटा दिया, इस देश से आतंकवाद खत्म कर दिया और मैं आज गर्व से कहता हूं तक 31 मार्च 2026 हम इस देश से नक्सलवाद को हमेशा-हमेशा के लिए मिटा देंगे।

उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन की स्थिति क्या है? मुंबई में बीएमसी चुनाव नजदीक आ रहे हैं, जहां पहले साथ मिलकर लड़ने वाली शिवसेना और कांग्रेस अब अलग-अलग हैं। दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ रही है, बिहार में भी लालू प्रसाद यादव बेचैन दिख रहे हैं। यह एक अहंकारी गठबंधन है और यह टूटने लगा है।


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