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झारखंड में अगले वित्तीय वर्ष में जातीय सर्वेक्षण कराएगी राज्य सरकार, विधानसभा में किया ऐलान

झारखंड सरकार राज्य में अगले वित्तीय वर्ष में जातीय सर्वेक्षण कराएगी। झारखंड के राजस्व, भूमि सुधार और परिवहन विभाग के मंत्री दीपक बिरुआ ने सोमवार को विधानसभा में यह जानकारी दी

झारखंड में अगले वित्तीय वर्ष में जातीय सर्वेक्षण कराएगी राज्य सरकार, विधानसभा में किया ऐलान
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रांची। झारखंड सरकार राज्य में अगले वित्तीय वर्ष में जातीय सर्वेक्षण कराएगी। झारखंड के राजस्व, भूमि सुधार और परिवहन विभाग के मंत्री दीपक बिरुआ ने सोमवार को विधानसभा में यह जानकारी दी।

कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव की ओर से राज्य में जातीय जनगणना को लेकर पूछे गए एक सवाल पर मंत्री ने कहा कि राज्य की सरकार जातीय सर्वे कराने को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। जातीय सर्वेक्षण कैसे कराया जाए, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य के कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग को सौंपी गई है।

झारखंड विधानसभा के चालू बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान प्रदीप यादव ने सवाल उठाया कि 12 फरवरी 2024 को कैबिनेट की बैठक में जातीय सर्वे कराने को लेकर निर्णय लिया गया था। इस निर्णय के बाद एक साल एक माह का वक्त बीत गया है, ऐसे में सरकार बताए कि अभी तक इस पर क्या काम हुआ?

उन्होंने यह भी जोड़ा कि तेलंगाना जैसे राज्य ने हमसे बाद में जातीय सर्वे कराने के फैसला लिया और वहां फरवरी में इसकी रिपोर्ट भी आ गई। सरकार की ओर से जवाब देते हुए मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि जातीय जनगणना कराने का काम केंद्र सरकार का है, लेकिन अगले वित्तीय वर्ष में हमारी सरकार जातीय सर्वे का काम शुरू कराएगी। इसके लिए किस एजेंसी को जिम्मेदारी दी जाएगी, यह तय करने की प्रक्रिया चल रही है।

बाद में सदन के बाहर मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि जातीय गणना सिर्फ जनगणना नहीं, बल्कि समाज का एक्सरे और एमआरआई की रिपोर्ट की तरह है। इससे सिर्फ जातियों की संख्या का पता नहीं चलता, बल्कि यह तस्वीर भी सामने आ जाती है कि कौन सी जातियां और कौन लोग समाज में किस पायदान पर खड़े हैं। इससे दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के विकास की दिशा में कारगर कदम उठाने में मदद मिलती है। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव के पहले अपने चुनावी घोषणापत्रों में भी राज्य में जातीय जनगणना कराने का वादा किया था। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले राज्य कैबिनेट ने भी इस आशय का निर्णय पारित किया था।


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