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बिहार विधानसभा में शराबबंदी को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने

बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विपक्ष का जमकर हंगामा देखने को मिला। इस दौरान बिहार में जारी शराबबंदी कानून को लेकर सत्ता और विपक्ष के लोग आमने-सामने आ गए

बिहार विधानसभा में शराबबंदी को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने
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पटना। बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विपक्ष का जमकर हंगामा देखने को मिला। इस दौरान बिहार में जारी शराबबंदी कानून को लेकर सत्ता और विपक्ष के लोग आमने-सामने आ गए।

दरअसल, विपक्ष द्वारा मंगलवार को शराबबंदी कानून को लेकर एक सवाल पूछा गया। इसके तहत सरकार के मंत्री श्रवण कुमार ने जवाब में कहा कि बिहार में साल 2016 के बाद से अब तक शराब से कुल 156 मौतें हुई हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य में शराबबंदी सख्ती से लागू है और शराब-ताड़ी कारोबार में लगे गरीबों के जीविकोपार्जन के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। उन्हें इस धंधे से बाहर निकाल रही है।

सरकार की ओर से दिए गए जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस आंकड़े पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि जो 156 मौतें हुई हैं, वह पूरे बिहार की है या फिर सिर्फ तीन जिले की है? आंकड़े सही कर लें।

उन्होंने कहा कि बिहार में हर ब्रांड की शराब मिल रही है। पुलिस वाले ट्रकों को मंजिल तक पहुंचा रहे हैं। गरीब लोगों पर कार्रवाई हो रही है। बड़े लोगों को छोड़ दिया जाता है। सरकार ने सदन के अंदर कहा कि 2016 से अब तक बिहार में 156 लोगों की शराब से मौत हुई है।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री बार-बार इस मुद्दे पर समीक्षा बैठक तो करते हैं, लेकिन समीक्षा का नतीजा सामने नहीं आता है।

इधर, श्रवण कुमार ने कहा कि विपक्ष इस कानून को सफल बनाने में सरकार का सहयोग नहीं कर रहा है। विधानसभा में इन सब लोगों ने शपथ ली थी कि शराब नहीं पीएंगे, जो बेच रहे हैं उनके बारे में बताएंगे, लेकिन एक भी आदमी के बारे में इन्होंने नहीं बताया है। विपक्ष द्वारा आँकड़ो पर उठाए गए सवाल पर कहा कि आपकी बातों की समीक्षा करेंगे और उसमें गलती होगी तो सुधार भी लेंगे।

इससे पहले , विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन महागठबंधन के विधायकों ने बैनर पोस्टर लेकर विधानसभा में प्रदर्शन कर नारेबाजी की। 65 प्रतिशत आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने की मांग को लेकर हंगामा किया। राजद के विधायक एवं मुख्य सचेतक अख्तरुल इस्लाम शाहीन ने कहा कि संविधान की नौवीं अनुसूची में डाला जाए।


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