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आबकारी नीति में बार-बार बदलाव के कारणों की भी जांच होनी चाहिए : संदीप दीक्षित

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि दिल्ली आबकारी नीति में बार-बार बदलाव हुआ है इसलिए इस पहलू की भी व्यापक स्तर पर जांच की जानी चाहिए

आबकारी नीति में बार-बार बदलाव के कारणों की भी जांच होनी चाहिए : संदीप दीक्षित
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नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित ने कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि दिल्ली आबकारी नीति में बार-बार बदलाव हुआ है इसलिए इस पहलू की भी व्यापक स्तर पर जांच की जानी चाहिए।

दीक्षित ने बुधवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कैग रिपोर्ट में कहा गया कि शराब नीति जिस मंशा के साथ बनी उसे बार-बार बदला गया। इसमें जहां पहले 77 की भागीदारी थी वह बाद में घटकर 14 हो गई और ये सभी 14 ऐसी संस्थाएं आपस में संबंध रखती हैं। कुछ देश के ऐसे हिस्सों से आती हैं, जहां के राजनेता और उनके परिवार के लोग आम आदमी पार्टी सरकार के साथ संबंध बनाकर चलते हैं। इस शराब नीति की बारीकियां नीति बनने के 8-9 महीने पहले से ही चर्चा में आ गई थी। कई अधिकारी कह रहे थे कि ये बात चर्चा में इसलिए आई क्योंकि नीति ही सरकार और शराब के ठेकेदारों के बीच के संबंधों और अपने हितों के चलते बनी थीं।

उन्होंने कहा,“इस मामले में अलग से जांच होनी चाहिए। तबकी दिल्ली सरकार कहती थी कि वह प्रति बोतल पर एक्साइज नहीं लगाएगी। जिस तरह कुछ साल पहले एक्साइज लिए जाते थे, वे उसी पर हर साल 5 से 10 प्रतिशत बढ़ाकर एक मूल अमाउंट ले लेंगे। फिर वे कितनी बोतलें बेचते हैं, इससे हमें मतलब नहीं है। दिल्ली में 30-40 प्रतिशत अवैध शराब बिकती हैं। मान लीजिए दिल्ली में 10 हजार बोतलें शराब की बिकती थीं तो यहां 13-14 हजार बोतलें बिक रही हैं। इसलिए 3-4 हजार बोतलों का एक्साइज सरकार के पास नहीं आता था। अगर ऐसा था तो सरकार ने 10 हजार बोतलों को ही मानक क्यों मान लिया था। पहले 377 के करीब रिटेल थे जिसमें सिर्फ 262 प्राइवेट किए जाते थे और बाकी सरकारी कंपनियां बेचा करती थीं। लेकिन बाद में 850 के करीब रिटेल हो गए और सिर्फ 22 प्राइवेट प्लेयर बचे।”

दीक्षित ने कहा,“मुख्य बात ये भी है कि इसमें कुछ ब्रांड को भी प्रमोट किया गया। दिल्ली में कुछ ऐसे ब्रांड को प्रमोट किया जा रहा था जिसे एनसीआर में पसंद नहीं किया गया। इसके अलावा, दिल्ली में कई ब्रांड्स को दबाया भी गया। इतना ही नहीं, इसमें भ्रष्टाचार की बात भी कही गई है। यानी सरकार की तरफ से बाजार प्रतिस्पर्धा को गलत तरीके से डील किया गया। दिल्ली में उन टॉप ब्रांड्स को प्रमोट किया गया जिनके प्लांट्स पंजाब में थे और सभी को पता है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार थी।”


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