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आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता डल्लेवाल की जान को खतरा, डॉक्टर परेशान, सरकार खामोश

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 30 दिनों से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनकी हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है। डॉक्टर परेशान हैं लेकिन सरकार अब तक उनकी मांगों का संज्ञान लेती नहीं दिख रही है

आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता डल्लेवाल की जान को खतरा, डॉक्टर परेशान, सरकार खामोश
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किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल पिछले 30 दिनों से खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनकी हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है। डॉक्टर परेशान हैं लेकिन सरकार अब तक उनकी मांगों का संज्ञान लेती नहीं दिख रही है।

पंजाब और हरियाणा की सीमा पर स्थित खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की स्थिति दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है लेकिन अब तक सरकार की तरफ से किसानों से बातचीत की कोई कोशिश नहीं की जा रही है। 24 दिसंबर को सत्तर वर्षीय जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 29वें दिन में पहुंच गया और डॉक्टरों का कहना है कि इस वजह से उनके शरीर में जो अंदरूनी नुकसान हो रहा है, उसकी भरपाई मुश्किल होगी.

लेकिन कई बार कोशिश करने के बावजूद उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया गया। किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समेत तमाम वादे जो सरकार ने किसानों से किए थे, उन्हें पूरा किया जाए। उन्हीं मांगों के लिए सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से किसान दिल्ली आना चाहते हैं. आंदोलनरत किसानों के बीच किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल 26 नवंबर से ही आमरण अनशन पर हैं।

पिछले हफ्ते डल्लेवाल की तबीयत अचानक बिगड़ने से वहां अफरा-तफरी फैल गई जिसके चलते किसानों का गुस्सा भड़क गया. डल्लेवाल की जांच कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उनके स्वास्थ्य को लेकर जो बातें बताई हैं वो ठीक नहीं हैं. सच्चाई ये है कि उनका स्वास्थ्य काफी खराब हो चुका है।

डल्लेवाल की सेहत पर डॉक्टरों ने क्या कहा
डल्लेवाल के स्वास्थ्य की नियमित जांच कर रहे डॉक्टरों की टीम के प्रमुख डॉक्टर सवैमान ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हमारे रूटीन चेक अप के मुताबिक उनकी तबीयत बेहद नाजुक है. उन्हें कभी भी हार्ट अटैक आ सकता है और जान जा सकती है. हम लोग लगातार उनसे निवेदन कर रहे हैं कि आप अनशन को जल्द ही तोड़ दीजिए, लेकिन वो हमारी बात मानने को तैयार नहीं हैं। ”

इस बीच, डल्लेवाल का हाल-चाल लेने के लिए सोमवार को हरियाणा के सिरसा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी की सांसद कुमारी सैलजा और उत्तर प्रदेश से भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के तमाम पदाधिकारी अपना समर्थन देने के लिए डल्लेवाल से मिलने खनौरी बॉर्डर पहुंचे. इसके अलावा सिरसा से किसानों का एक पैदल जत्था भी खनौरी बॉर्डर के लिए रवाना हुआ है।

वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि 30 दिसंबर को पंजाब बंद का आयोजन किया गया है और 24 दिसंबर को शाम साढ़े पांच बजे देश भर में जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन के समर्थन में कैंडल मार्च निकाला जाएगा।

देश भर में विरोध प्रदर्शन
खनौरी बॉर्डर पर मौजूद किसान नेता अभिमन्यु सिंह कोहाड ने डीडब्ल्यू को बताया, "30 दिसंबर को पंजाब बंद का आयोजन किया गया है जिसकी तैयारी के लिए 26 दिसंबर को खनौरी में सभी ट्रेड यूनियन, सामाजिक संगठन, धार्मिक संगठन, टैक्सी यूनियनों की बैठक बुलाई गई है. 30 दिसंबर को पंजाब बंद के दौरान मेडिकल और इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर सभी चीजें सुबह 7 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक बंद रहेंगी. पिछले दो दिन से लगातार लगातार बारिश हो रही है, जिससे ठंड काफी बढ़ गयी है. ट्रॉलियों में पानी टपक रहा है लेकिन इसके बावजूद किसान मजबूती से डटे हुए हैं और हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। ”

किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) ने किसानों की मांगों को लेकर 13 फरवरी 2024 को दिल्ली जाने की घोषणा की थी लेकिन किसानों को पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर रोक दिया गया. तभी से किसान शम्भू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर डटे हुए हैं. बीच-बीच में दिल्ली जाने की कोशिश भी करते हैं लेकिन पुलिस उन्हें आगे बढ़ने से रोक देती है. खनौरी बॉर्डर 21 फरवरी को इसी कोशिश में किसानों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी जिसमें एक युवक शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी।

लेकिन 26 नवंबर से यह आंदोलन एक बार तब चर्चा में आ गया जब किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने आमरण अनशन पर बैठने की घोषणा कर दी. तब से अब तक करीब एक महीने होने जा रहा है और डल्लेवाल अपना अनशन तोड़ने को तैयार नहीं हैं. कैंसर पीड़ित डल्लेवाल को पंजाब पुलिस ने जबरन अस्पताल ले जाने की कोशिश भी की लेकिन किसानों के सख्त प्रतिरोध के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ा.

एक बार फिर क्यों दिल्ली कूच कर रहे पंजाब के किसान

डल्लेवाल की लगातार बिगड़ती तबीयत को लेकर पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने भी पंजाब सरकार को फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वे अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को खनौरी बॉर्डर पर ही एक अस्थायी अस्पताल बनाकर उसमें स्थानांतरित करें, ताकि उनकी सेहत पर चौबीस घंटे नजर रखी जा सके. हालांकि पंजाब सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि डल्लेवाल की हालत स्थिर है और चिंता की कोई बात नहीं है. उनकी नियमित जांच की जा रही है।

कौन हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल?
जगजीत सिंह डल्लेवाल पंजाब में फरीदकोट के डल्लेवाल गांव के रहने वाले हैं. किसान परिवार से आने वाले डल्लेवाल ने पंजाब विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पोस्टग्रैजुएशन की है।

साल 2022 में उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से अलग होकर ये संगठन बनाया है. इसकी वजह ये थी कि उस वक्त एसकेएम के ही एक नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने संयुक्त समाज मोर्चा का गठन कर पंजाब में साल 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान कर दिया था. इसके बाद डल्लेवाल ने अपने संगठन को अलग कर लिया और जुलाई 2022 में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) का गठन किया. यह संगठन 150 किसान संगठनों को मिलाकर बना है, जो कि राजनीति में शामिल नहीं हैं।

भारत: फसलों के दाम बढ़ने से किसानों को कितना फायदा

डल्लेवाल के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले ही किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं

किसानों के मुद्दों को लेकर डल्लेवाल काफी समय से मुखर रहे हैं. इस मामले में वो 2018 में वो पहली बार चर्चा में आए. साल 2018 में ही वो किसानों की उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने, कृषि ऋण माफी और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करवाने के लिए आंदोलन कर चुके हैं. इन्हीं मांगों को लेकर किसान ट्रैक्टरों के काफिले के साथ एक बार फिर दिल्ली की ओर रवाना हुए लेकिन उन्हें पंजाब-हरियाणा की सीमा पर ही रोक दिया गया।

कैंसर के मरीज होने के बावजूद साल 2019 में चंडीगढ़ में खेती और इससे जुड़ी समस्यों के लिए डल्लेवाल ने पांच दिनों तक भूख हड़ताल की थी. साल 2021 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ व्यापक और बड़े कृषि आंदोलन का भी हिस्सा रहे. साल 2022 में किसान संगठनों पर पंजाब सरकार के आरोप के बाद जगजीत सिंह डल्लेवाल ने फिर से भूख हड़ताल पर जाने का फैसला लिया था।


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