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देश में जो घटनाएं घट रही हैं, वे चिंताजनक : मीरवाइज उमर फारूक

हुर्रियत कांफ्रेंस के उदारवादी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने श्रीनगर स्थित जामा मस्जिद में अपनी तकरीरों के दौरान देश में मुसलमानों की मौजूदा स्थिति पर खुलकर अपनी बात रखी

देश में जो घटनाएं घट रही हैं, वे चिंताजनक : मीरवाइज उमर फारूक
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नई दिल्ली। हुर्रियत कांफ्रेंस के उदारवादी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने श्रीनगर स्थित जामा मस्जिद में अपनी तकरीरों के दौरान देश में मुसलमानों की मौजूदा स्थिति पर खुलकर अपनी बात रखी।

मीरवाइज उमर फारूक ने कहा, “पिछले कुछ समय से हिंदुस्तान में जो घटनाएं और हालात हो रहे हैं, वे बहुत ही चिंताजनक हैं। उत्तर प्रदेश के संभल इलाके में, शाही मस्जिद 500 साल से भी पुरानी है। कोर्ट ने जब मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया, तो मुसलमानों ने इसका विरोध किया और इस विरोध के दौरान गोलियां चलाई गईं, जिसमें पांच मुसलमान शहीद हो गए। यह घटना अभी ताजा ही थी कि दो दिन पहले कोर्ट ने अजमेर शरीफ की ऐतिहासिक दरगाह, हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का भी सर्वे करने का आदेश दिया। इससे पहले ज्ञानवापी मस्जिद और बाबरी मस्जिद को लेकर भी सर्वे के आदेश दिए गए थे।”

उन्होंने कहा, “ये घटनाएं एक बेहद चिंताजनक परिदृश्य को दिखाती हैं। जब कोई व्यक्ति कोर्ट में शिकायत करता है और फिर कोर्ट उन धार्मिक स्थानों का सर्वे कराने का आदेश देता है, तो यह सवाल उठता है कि यह सब किस दिशा में जा रहा है? मुसलमानों के बीच यह चिंता गहराती जा रही है कि कहीं कोई साजिश तो नहीं हो रही है, जिसके जरिए धार्मिक स्थलों को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। खासकर उन धार्मिक स्थलों को जो सैकड़ों सालों से मुसलमानों के लिए श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह केवल भारत के मुसलमानों से ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के मुसलमानों से जुड़ी हुई है। यह दरगाह 800 साल से भी ज्यादा पुरानी है और यहां का धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है। यह समझना मुश्किल है कि एक कोर्ट किस आधार पर इन ऐतिहासिक स्थलों का सर्वे करने का आदेश दे सकता है। क्या यह कोई न्यायिक प्रक्रिया है या फिर इसका उद्देश्य कुछ और है?”

उन्होंने कहा कि मुसलमानों के बीच डर और घबराहट बढ़ रही है कि कहीं यह सब मिलकर उनके धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को नष्ट करने की एक साजिश का हिस्सा तो नहीं है। अगर हम भारत के संविधान और उसकी धर्मनिरपेक्षता की बात करें, तो क्या यह कदम उन मूलभूत सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं है, जो संविधान में निहित हैं? क्या भारत में मुसलमानों के लिए जगह नहीं है? क्या भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र नहीं है, जहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है?

मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि संसद में पेश वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भी मुसलमानों में चिंता और घबराहट का माहौल है। जम्मू कश्मीर के मुसलमानों ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि उनकी आवाज सुनी जाए और जल्दबाजी में कोई निर्णय न लिया जाए, क्योंकि यह सिर्फ एक सियासी मुद्दा नहीं है, बल्कि मुसलमानों की आस्था और विश्वास से जुड़ा हुआ एक संवेदनशील मुद्दा है।

उन्होंने कहा, “मुसलमान यह महसूस कर रहे हैं कि इन घटनाओं और फैसलों के जरिए उनके विश्वासों और धार्मिक अधिकारों पर हमला किया जा रहा है। इस तरह के फैसलों से न केवल मुसलमानों के दिलों में घबराहट और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है, बल्कि इससे देश के सामाजिक और धार्मिक ताने-बाने पर भी असर पड़ सकता है। अगर इस स्थिति में कोई गड़बड़ी होती है, तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी, क्योंकि सरकार ही ऐसे फैसले लेने के लिए जिम्मेदार है।”

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को हल करने के लिए एक शांतिपूर्ण और समझदारी से भरा दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, ताकि हर नागरिक को सम्मान, सुरक्षा और समानता का अधिकार मिले।


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