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शाम छह बजे के बाद सदन चला है, उसकी कार्यवाही कितनी वैध और संवैधानिक होगी, यह देखा जाना है : प्रमोद तिवारी

वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने संसद में देर रात तक चली कार्यवाही पर सवाल उठाए

शाम छह बजे के बाद सदन चला है, उसकी कार्यवाही कितनी वैध और संवैधानिक होगी, यह देखा जाना है : प्रमोद तिवारी
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नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने संसद में देर रात तक चली कार्यवाही पर सवाल उठाए। तिवारी ने कहा, "शाम छह बजे के बाद जो भी सदन चला है, उसकी कार्यवाही कितनी वैध होगी, कितनी संवैधानिक होगी, यह देखा जाना है। हम इन पहलुओं पर विचार कर रहे हैं।" उनका यह बयान उस समय आया जब लोकसभा और राज्यसभा में इस विधेयक पर लंबी चर्चा और वोटिंग के बाद इसे पास किया गया।

कांग्रेस नेता ने विधेयक के पास होने के बाद कोर्ट जाने की संभावना को लेकर कहा, "मैं इस विषय पर पहले ही बता चुका हूं और फिर कह रहा हूं, इस संदर्भ में जयराम रमेश ने जो बयान दिया है, उस पर हम कार्रवाई करेंगे।" उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे पर संविधान की रक्षा करने वाले कई संगठन हैं जो इस विधेयक के खिलाफ अदालत जाएंगे। हम इसके खिलाफ लड़ेंगे।

बता दें कि वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर लोकसभा में 2 अप्रैल से 3 अप्रैल को लगभग सुबह 2 बजे रात के बाद चर्चा के बाद वोटिंग हुई, और इस विधेयक को लोकसभा से पास किया गया। इसके बाद 3 अप्रैल को राज्यसभा में भी पूरे दिन चर्चा चली और 4 अप्रैल की सुबह 3 बजे तक इस विधेयक को राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई।

ज्ञात हो कि 3 अप्रैल को राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, जिसे यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एम्पावरमेंट एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट (उम्मीद) के नाम से भी जाना जाता है, पर 13 घंटे लंबी चर्चा के बाद पारित कर दिया गया। देर रात करीब 2:30 बजे उच्च सदन ने इस विधेयक पर अपनी मुहर लगाई। राज्यसभा में विधेयक के समर्थन में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े। इसके अलावा लोकसभा की तरह, राज्यसभा ने भी विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्तावों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया।

इससे पहले, 2 अप्रैल को लोकसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक को बहुमत से पारित किया था। विधेयक के पक्ष में 288 और विरोध में 232 मत पड़े थे। लोकसभा में इस विधेयक पर 12 घंटे से ज्यादा समय तक चर्चा हुई थी। अब यह विधेयक राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा, और सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाने के बाद यह कानून का रूप ले लेगा।


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