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'दिल्ली को रिमोट कंट्रोल से चलाना चाहती है केंद्र', रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने पर बोले महेश तपासे

शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) के प्रवक्ता महेश तपासे ने गुरुवार को दिल्ली में नई सरकार के शपथ ग्रहण, महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम और महाकुंभ को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर अपनी राय रखी

दिल्ली को रिमोट कंट्रोल से चलाना चाहती है केंद्र, रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने पर बोले महेश तपासे
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मुंबई। शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) के प्रवक्ता महेश तपासे ने गुरुवार को दिल्ली में नई सरकार के शपथ ग्रहण, महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम और महाकुंभ को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर अपनी राय रखी।

महेश तपासे ने दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता के शपथ ग्रहण पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार के कामकाज पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार दिल्ली को रिमोट कंट्रोल से चलाना चाहती है। हालांकि, मैं रेखा गुप्ता को ढेर सारी बधाई देता हूं। भाजपा की हमेशा यही कोशिश रहती है कि वह किसी भी शीर्ष पद पर किसी बड़े नेता को न बैठाए।"

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा दिल्ली सरकार को रिमोट कंट्रोल से चलाना चाहती है और शायद यही कारण है कि उन्होंने किसी सक्षम या बड़े नेता को मुख्यमंत्री पद पर नहीं बिठाया। उन्होंने उम्मीद जताई कि रेखा गुप्ता अच्छे से दिल्ली की जनता का नेतृत्व करेंगी।

महाराष्ट्र की राजनीति पर महेश तपासे ने कहा कि भाजपा और शिवसेना के बीच पिछले तीन दशकों का गठबंधन अब खत्म हो चुका है। अगर एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना का गठबंधन होता, तो एक सीनियर नेता को मुख्यमंत्री पद मिलता। उद्धव ठाकरे एक बड़े और सीनियर नेता हैं और पार्टी के मुखिया भी हैं। पवार साहब का हमेशा यही मानना है कि पार्टी का मुखिया ही मुख्यमंत्री बने, क्योंकि एक पार्टी में कभी भी दो-दो कंट्रोल नहीं हो सकते।

महेश तपासे ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए अच्छा काम किया था और आज भी लोग उन्हें याद करते हैं।

ममता बनर्जी के महाकुंभ वाले बयान पर तपासे ने कहा कि लोगों की आस्था से जुड़ी किसी भी चीज पर टिप्पणी करना गलत है। अगर किसी को कुंभ में जाना है तो वह जाए, अगर नहीं जाना है तो न जाए। यह एक व्यक्तिगत आस्था का मामला है और इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए। राजनीति में आस्था और धार्मिक भावनाओं का सम्मान होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जो लोग कुंभ मेले में आस्था के साथ जाते हैं, उनके लिए यह एक आध्यात्मिक यात्रा होती है और अगर किसी को ऐसा नहीं लगता तो वह न जाए। इस विषय पर किसी प्रकार की राजनीतिक टिप्पणी करना गलत है।


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