Top
Begin typing your search above and press return to search.

अहमदाबाद प्लेन क्रैश की तकनीकी वजहें पूरी तरह स्पष्ट नहीं : विशेषज्ञ रंधावा

अहमदाबाद प्‍लेन क्रैश पर विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट नागरिक विमानन मंत्रालय को सौंप दी है

अहमदाबाद प्लेन क्रैश की तकनीकी वजहें पूरी तरह स्पष्ट नहीं : विशेषज्ञ रंधावा
X

मुंबई। अहमदाबाद प्‍लेन क्रैश पर विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट नागरिक विमानन मंत्रालय को सौंप दी है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए विमानन विशेषज्ञ कैप्टन सी.एस. रंधावा ने कहा कि रिपोर्ट में असली तकनीकी वजहें पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि एएआईबी की रिपोर्ट में जो बातें सामने आई हैं, वह कई सवाल खड़े करती हैं। टेकऑफ के बाद विमान सामान्य ढंग से उड़ान भर रहा था। रिपोर्ट में स्पीड, लिफ्ट-ऑफ और गियर-अप जैसे तमाम चरणों की टाइमिंग दी गई है, लेकिन असली तकनीकी वजहें पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं।

उन्‍होंने बताया कि विमान जब हवा में उठता है तो उसके लैंडिंग गियर लॉक हो जाते हैं और तभी फ्लाइट ग्राउंड मोड से एयर मोड में ट्रांजिशन करता है। इसी दौरान अगर कोई पावर इंटरप्शन होता है, तो उससे इंजन और इलेक्ट्रिकल सिस्टम पर असर पड़ सकता है। रिपोर्ट में ‘फ्यूल कंट्रोल स्विच’ के ‘कट-ऑफ’ में ट्रांजिशन की बात की गई है। लेकिन, यह नहीं बताया गया कि वह स्विच किसने या कैसे ऑफ किया। कॉकपिट की ऑडियो रिकॉर्डिंग में यह सुना गया कि पायलट्स आपस में कह रहे थे कि उन्होंने स्विच को नहीं छुआ। इसका मतलब यह हो सकता है कि या तो किसी इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी के कारण स्विच एक्टिवेट हुआ या इंजन कंट्रोल यूनिट (ईईसी) ने स्वतः इसे बंद कर दिया।

उन्‍होंने बताया कि एयरक्राफ्ट में इलेक्ट्रॉनिक इंजन कंट्रोल (ईईसी) सिस्टम होता है, जो इंजन के हर पहलू को मॉनिटर करता है। अगर उसमें किसी सिग्नल से यह महसूस होता है कि इंजन में कोई गंभीर गड़बड़ी है, तो यह सिस्टम अपने आप फ्यूल सप्लाई काट सकता है और इंजन को शटडाउन कर सकता है। यह भी रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं है कि दोनों इंजन एकसाथ कैसे बंद हुए। रैट (रैम एयर टर्बाइन) का जिक्र रिपोर्ट में सिर्फ सतही तौर पर किया गया है, जबकि इसका एक्टिव होना, इस बात का संकेत देता है कि विमान पूरी तरह से पावर लॉस की स्थिति में आ चुका था।

उन्होंने कहा कि फ्यूल कंट्रोल स्विच की पोजिशनिंग को देखें तो वह को-पायलट की साइड में होता है और गलती से बंद नहीं हो सकता। उसे ऑफ करने के लिए दो चरणों में कार्रवाई करनी होती है, पहले उसे अनलॉक करना, फिर उसे पुश करके नीचे लाना। यह 'मैन्युअल एक्शन' होता है, जो बिना पायलट के इरादे के हो ही नहीं सकता, जब तक कि कोई इलेक्ट्रिकल फॉल्ट न हो।

रंधावा ने कहा कि बोइंग कंपनी ने इन स्विच को इस तरह डिजाइन किया है कि वे सिर्फ तीन स्थितियों में बंद होते हैं, जब पायलट खुद बंद करे (कमांड के साथ), जब इंजन में आग लगे या जब इंजन को हटाया जाना हो। अगर पायलट स्विच को ऑफ करता है, तो उसे 'फ्यूल कंट्रोल ऑफ' बोलकर कंफर्म करना होता है, जो इस मामले में ऑडियो में नहीं है। यह भी चिंता का विषय है। रिपोर्ट में एयर इंडिया या बोइंग के सिस्टम डिजाइन पर कोई टिप्पणी नहीं है। हमें विस्तृत तकनीकी रिपोर्ट का इंतजार करना होगा। इलेक्ट्रिकल सर्किट, ईईसी फॉल्ट लॉग्स और ब्लैक बॉक्स के डाटा की बारीकी से जांच के बाद ही असली वजह सामने आएगी। इसमें 8 महीने से लेकर 3 साल तक समय लग सकता है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it