Top
Begin typing your search above and press return to search.

सुधांशु त्रिवेदी ने राज्यसभा में उठाया छोटी बच्चियों से विदेशियों के टेक्निकल मैरिज का मुद्दा

भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि बच्चों के प्रति किसी भी प्रकार का अपराध संभव न हो, इसके लिए मोदी सरकार ने कई बड़े वैधानिक फैसले लिए हैं

सुधांशु त्रिवेदी ने राज्यसभा में उठाया छोटी बच्चियों से विदेशियों के टेक्निकल मैरिज का मुद्दा
X

नई दिल्ली। भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि बच्चों के प्रति किसी भी प्रकार का अपराध संभव न हो, इसके लिए मोदी सरकार ने कई बड़े वैधानिक फैसले लिए हैं। इनमें जुवेनाइल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन एक्ट-2016, क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट-2018, प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सैक्सुअल ऑफेंसिव अमेंडमेंट बिल-2019 शामिल हैं। ये सारे कानून ढंग से लागू हो सकें, इसके लिए जो व्यवहारिक व्यवस्थाएं की जानी थीं, वह भी सरकार ने प्रभावी तरीके से की हैं। सरकार ने इंटीग्रेटेड चाइल्ड हेल्पलाइन की व्यवस्था की है, जो देश के 669 जिलों में कार्य कर रही है।

भाजपा नेता शुक्रवार को राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल के तहत नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शरद पवार गुट की डाॅ. फौजिया खान द्वारा लाए गए 'लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण संशोधन विधेयक 2024' पर चर्चा में हिस्सा ले रहे थे।

उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ मानसिकता से लड़ना भी एक चुनौती है। केंद्र सरकार के मंत्रालय ने एक विशेष कैंपेन चलाया है 'चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया'। उन्होंने कहा कि पॉक्सो एक्ट 2012 में यूपीए की सरकार लाई, परंतु मोदी सरकार आने के बाद यह आवश्यकता महसूस की गई कि बदलते वातावरण में इसे और कठोर तथा प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। इसी कारण सरकार ने कई संशोधन किए हैं और कानून को प्रभावी बनाया है। सजा को सख्त बनाते हुए गंभीर मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने बताया कि पुराने एक्ट में चाइल्ड पोर्नोग्राफी की कोई परिभाषा नहीं थी, लेकिन हमारी सरकार ने इस परिभाषा को तय किया है, ताकि इसके द्वारा अपराध करने वाले किसी भी व्यक्ति को बचने का कोई रास्ता न मिल सके। जब हम कानूनी दृष्टि से एक दौर में इसको मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं, कहीं न कहीं पर हमें ईमानदारी से विचार करना होगा कि कहीं हम कानूनी कवर देकर चीजों को छुपाने का कोई प्रयास तो नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि 14 जून 2013 को केरल की सरकार ने एक आदेश जारी कर दिया। भारत में लड़कियों के लिए मैरिज की आयु 18 साल है। केरल की सरकार ने शादी के लिए उससे कम आयु की भी अनुमति प्रदान कर दी। इस प्रकार की अनुमति देना बच्चों के यौन शोषण को कानूनी जामा पहनाना है या नहीं।

भारी विरोध के बाद उन्होंने संशोधन किया। यदि आप वोट बैंक तुष्टिकरण के आधार पर चलते हुए बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण को एक नजरिए से कानूनी जामा पहनाने का प्रयास करेंगे तो यह सर्वथा गलत है। उन्होंने कहा कि इसलिए जब इस विषय पर विचार करना है तो ईमानदारी से विचार करना चाहिए।

भाजपा नेता ने हैदराबाद का एक उदाहरण देते हुए बताया कि हमारे यहां विदेश से लोग आते हैं और छोटी-छोटी बच्चियों से टेक्निकल मैरिज करते हैं। इन बच्चियों को खरीदकर ले जाया जाता है और फिर उनका यौन उत्पीड़न किया जाता है। उन्होंने 2014 में कक्षा 8 में पढ़ने वाली एक बच्ची का उदाहरण सदन के समक्ष रखते हुए कहा कि उसकी शादी 65 साल के व्यक्ति से कर दी गई।

उन्होंने कहा कि यदि ईमानदारी से लड़ने की इच्छा है तो इन चीजों के खिलाफ भी आवाज उठाई जाए। उन्होंने हैदराबाद के एक अन्य मामले का जिक्र करते हुए कहा कि यहां 16 साल की एक बच्ची ने थाने में शिकायत करके बताया कि 16 साल की आयु में उसकी पांचवी शादी करवाई जा रही है, यानी शादी के नाम पर उसे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को दिया गया। पीड़ित लड़की ने यह भी बताया कि इस सब में पैसे का लेनदेन हुआ।

उन्होंने कहा कि सरकार ने इन मामलों में बेहद गंभीरता से काम किया है। बाल यौन शोषण से जुड़े 3,500 से अधिक मामलों में इंटरपोल की मदद ली गई है। यदि हमें मानसिकता से लड़ना है तो हम यह नहीं कह सकते कि अश्लील वेबसाइट देखना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर छोड़ देना चाहिए।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it