Top
Begin typing your search above and press return to search.

आम आदमी पार्टी से राजनीति की शुरुआत, अब भाजपा के साथ होकर आप को मात देने की तैयारी, जानें कैलाश गहलोत का सियासी सफर

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिजवासन सीट से भाजपा उम्मीदवार कैलाश गहलोत का राजनीतिक सफर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है

आम आदमी पार्टी से राजनीति की शुरुआत, अब भाजपा के साथ होकर आप को मात देने की तैयारी, जानें कैलाश गहलोत का सियासी सफर
X

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिजवासन सीट से भाजपा उम्मीदवार कैलाश गहलोत का राजनीतिक सफर कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा है। आम आदमी पार्टी (आप) से अपनी राजनीति की शुरुआत कर मंत्री तक बनने वाले गहलोत अब भाजपा के उम्मीदवार के रूप में बिजवासन सीट से चुनावी मैदान में हैं।

कैलाश गहलोत का जन्म 11 मार्च 1974 को दिल्ली में हुआ। गहलोत से जाट परिवार से हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की, जहां से उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स, बैचलर ऑफ लॉ और मास्टर ऑफ लॉ की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने वकालत की शुरुआत की और दिल्ली उच्च न्यायालय तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की। इसके अतिरिक्त, 2005 से 2007 तक उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया।

कैलाश गहलोत ने 2015 में आम आदमी पार्टी से राजनीति में कदम रखा और नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए। इसके बाद 2020 में भी उन्होंने इसी सीट से जीत हासिल की। आम आदमी पार्टी के दिल्ली सरकार में मंत्री रहते हुए उन्होंने परिवहन विभाग सहित कई महत्वपूर्ण विभागों का प्रभार संभाला। उनके कार्यकाल के दौरान दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहन नीति को लागू किया गया, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा योजना शुरू की गई और सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई पहल की गई।

गहलोत ने 18 नवंबर 2024 को आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने त्यागपत्र में पार्टी के अधूरे वादों और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को लेकर आलोचना की। यमुना नदी को साफ करने में विफलता और शीश महल घोटाले जैसी विवादित स्थितियों का जिक्र करते हुए उन्होंने पार्टी के साथ आगे न बढ़ने का निर्णय लिया। इसके बाद उन्होंने भाजपा में शामिल होने का ऐलान किया।

भाजपा में शामिल होने के बाद, पार्टी ने उन्हें बिजवासन सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। यह सीट आम आदमी पार्टी के पास रही है, लेकिन गहलोत की जाट बिरादरी से संबंध और भाजपा का मजबूत संगठनिक नेटवर्क उन्हें यहां फायदा दिला सकता है। भाजपा में शामिल होने के बाद आम आदमी पार्टी और उनके नेताओं ने आरोप लगाया कि गहलोत ने ईडी और सीबीआई के दबाव में भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया है, हालांकि गहलोत ने इन आरोपों को नकारा है।

अब सवाल यह है कि क्या कैलाश गहलोत की रणनीति उन्हें बिजवासन सीट पर विजय दिलाएगी, या इस सीट पर कोई नया राजनीतिक समीकरण उभरेगा? यह देखने वाली बात होगी कि दिल्ली की राजनीति में इस बदलाव का क्या असर पड़ेगा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it