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मिल्कीपुर उपचुनाव में अपनी शर्मनाक हार पर सपा जनता को जवाब दे : मायावती

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मिल्कीपुर में सपा की हार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सपा की इतनी शर्मनाक हार कैसे हुई, इसके जवाब का जनता को इंतजार है

मिल्कीपुर उपचुनाव में अपनी शर्मनाक हार पर सपा जनता को जवाब दे : मायावती
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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने मिल्कीपुर में सपा की हार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सपा की इतनी शर्मनाक हार कैसे हुई, इसके जवाब का जनता को इंतजार है।

बसपा मुखिया मायावती ने रविवार को अपने एक बयान में सपा की मिल्कीपुर में करारी हार को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की अपनी सीट पर 61,710 वोटों से करारी हार भी जनता की नजर में इस हकीकत को लेकर है कि बसपा द्वारा चुनावी गड़बड़ी संबंधी आवश्यक सुधार होने तक देश में कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ने के फैसले के कारण इस सीट पर पार्टी का कोई उम्मीदवार नहीं होने के बावजूद सपा की इतनी शर्मनाक हार कैसे हुई?

उन्होंने कहा कि इस पर सपा के जवाब का लोगों को इंतजार है क्योंकि यूपी में पिछली बार हुए उपचुनाव में सपा ने अपनी पार्टी की हार की ठीकरा बसपा के ऊपर फोड़ने का राजनीतिक प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि यूपी के गरीब, मजदूरों, दलितों, अन्य पिछड़ा तथा मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों से यही कहना है कि भाजपा, कांग्रेस व सपा आदि जातिवादी पार्टियां उनकी हितैषी नहीं बल्कि अधिकतर मामलों में शोषक हैं। इन सभी लोगों का हित केवल अम्बेडकरवादी बसपा में सुरक्षित है।

बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि 'हवा चले जिधर की, चलो तुम उधर की' भाजपा की सरकार दिल्ली में बना दी है। अब केंद्र की भाजपा सरकार का उत्तरदायित्व बनता है कि वह दिल्ली की लगभग दो करोड़ जनता से किए गए जनहित व जनकल्याण के तमाम वादों और गारंटियों को ईमानदारी से जल्दी पूरा करे ताकि आम लोगों का जीवन थोड़ा बेहतर हो सके।

उन्होंने आगे कहा कि यह नतीजा, लगभग 27 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद, भाजपा के पक्ष में लगभग एकतरफा होने से बसपा सहित दूसरी पार्टियों को काफी नुकसान सहना पड़ा है तो इसका एक प्रमुख कारण अब तक दिल्ली में सत्ता में रही स्वयं आप पार्टी की सरकार है। अगर देखा जाए तो दिल्ली की आप पार्टी, भाजपा व उसकी केन्द्र सरकार के बीच हर स्तर पर लगातार जबरदस्त राजनीतिक द्वेष, संघर्ष, टकराव व तनाव आदि के कारण दिल्ली का अपेक्षित एवं समुचित विकास ठीक से नहीं हो पाया है, जिसका खामियाजा गरीब व मेहनतकश परिवारों एवं अप्रवासी लोगों को विभिन्न रूपों में बराबर उठाना पड़ा है।


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