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संजय राउत ने एकनाथ शिंदे गुट के मंत्रियों के सचिव की नियुक्ति पर उठाए सवाल

महाराष्ट्र में हाल ही में राजनीतिक बयानबाजी का सिलसिला तेज हो गया है। भाजपा और शिवसेना के नेताओं ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस से जुड़े कई मुद्दों पर बयान दिए हैं, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है

संजय राउत ने एकनाथ शिंदे गुट के मंत्रियों के सचिव की नियुक्ति पर उठाए सवाल
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मुंबई। महाराष्ट्र में हाल ही में राजनीतिक बयानबाजी का सिलसिला तेज हो गया है। भाजपा और शिवसेना के नेताओं ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस से जुड़े कई मुद्दों पर बयान दिए हैं, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है।


इसी कड़ी में शिवसेना नेता संजय राउत ने एकनाथ शिंदे गुट के मंत्रियों के सचिव की नियुक्ति पर सवाल उठाए और इसे अनुशासन का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बेकाबू हो चुके मंत्रियों पर कड़ी नजर रखी है, जो सत्ता में रहते हुए अनुशासन की अवहेलना कर रहे थे। इसके अलावा, ठेकेदारों पर भी संजय राउत ने गंभीर आरोप लगाए।

उन्होंने कहा कि 80,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के ठेके ठेकेदारों को दिए गए। लेकिन, कई काम पूरे नहीं हुए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव से पहले विधायकों को ठेकेदारों से कमीशन लेने के लिए दबाव डाला गया।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के 'वर्षा' बंगले में जाने से डरने पर भी राउत ने सवाल उठाए।

उन्होंने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है और केंद्र सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए।

राउत ने यह भी कहा कि अगर फडणवीस और उनका परिवार 'वर्षा' बंगले में जाने से डर रहा है, तो इस पर गहरी जांच की जरूरत है।

उन्होंने इसे एक अंधविश्वास का मामला बताया और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति से कार्रवाई की मांग की।

राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि मोदी का दिल्ली चुनाव के बीच कुंभ में डुबकी लगाने से दिल्लीवासियों के दिलों में जगह नहीं बनेगी। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें काम के आधार पर वोट मिलना चाहिए। वहीं, कांग्रेस पर हमला करते हुए राउत ने कहा कि कांग्रेस ने पिछले कई सालों से सरकार में रहते हुए अच्छे बजट नहीं दिए हैं।

संजय राउत ने यह भी कहा कि महंगाई और बेरोजगारी की समस्या पर सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने मध्यम वर्ग के लिए कोई विशेष योजना न दिखने पर भी सवाल उठाए और सरकार से ज्यादा स्पष्टता की मांग की।


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