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आरजी कर मामला: आंदोलन जारी रखने के लिए 80 संगठनों ने मिलकर बनाया 'अभया मंच'

इस साल अगस्त में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के बाद विरोध प्रदर्शन जारी रखने के लिए 80 से अधिक विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर 'अभया मंच' नाम से एक मंच बनाया है

आरजी कर मामला: आंदोलन जारी रखने के लिए 80 संगठनों ने मिलकर बनाया अभया मंच
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कोलकाता। इस साल अगस्त में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के बाद विरोध प्रदर्शन जारी रखने के लिए 80 से अधिक विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर 'अभया मंच' नाम से एक मंच बनाया है।

महिला डॉक्टर का शव 9 अगस्त को सुबह अस्पताल के सेमिनार हॉल में संदिग्ध परिस्थितियों में मिला था। यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़िता की पहचान उजागर करना कानूनन वर्जित है, इसलिए प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने मृतक महिला डॉक्टर का नाम 'अभया' रखा है।

नए संयुक्त मंच में राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों से जुड़े प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधि, नागरिक समाज और मशहूर हस्तियों के प्रतिनिधि तथा प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों के साथ एकजुटता व्यक्त करने वाले आम लोग शामिल होंगे।

पहले से ही, जूनियर डॉक्टरों का संगठन 'पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट' (डब्ल्यूबीजेडीएफ) महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मुद्दे पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है। हालांकि, इस मामले में जूनियर डॉक्टरों के एक समूह ने आमरण अनशन वापस ले लिया गया है। लेकिन डब्ल्यूबीजेडीएफ ने घोषणा की है कि वे इस मुद्दे पर अपने मांगों के समर्थन में विरोध कार्यक्रम जारी रखेंगे।

नये गठित संयुक्त मंच का नारा है 'द्रोहेर आलो जलाओ' (विरोध का दीप जलाओ) और इसका उद्देश्य बलात्कार तथा हत्या के मुद्दे पर आंदोलन जारी रखना है, जब तक कि सीबीआई मामले में शीघ्र और तार्किक निष्कर्ष पर नहीं पहुंच जाती।

पिछले सप्ताह, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने एक नई योजना 'अभया प्लस' शुरू करने की घोषणा की, जिसके तहत राज्य में लड़कियों के लिए आत्मरक्षा पाठ्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

राजभवन के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, यह योजना राज्यपाल की अपनी परिकल्पना है, जो महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या की संदर्भ में बनाई गई है। अतीत में, राज्यपाल ने कोलकाता पुलिस द्वारा की गई कथित लापरवाह प्रारंभिक जांच पर अपनी आवाज उठाई थी, जिसके बाद मामले को कलकत्ता हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंप दिया था।


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