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पुरानी पेंशन बहाली को लेकर रैली आज

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रभारी विक्रम सिंह रावत ने 4 नवंबर को सचिवालय घेराव के लिए एक विशाल रैली की घोषणा की है

पुरानी पेंशन बहाली को लेकर रैली आज
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देहरादून। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रभारी विक्रम सिंह रावत ने 4 नवंबर को सचिवालय घेराव के लिए एक विशाल रैली की घोषणा की है।

यह रैली परेड ग्राउंड से शुरू होकर 50 हजार से अधिक शिक्षक और कर्मचारियों की भागीदारी के साथ ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) की बहाली की मांग करेगी।

रावत ने स्पष्ट किया कि अगर सरकार 2027 से पहले इस योजना को बहाल नहीं करती है, तो वह सरकार को चैन से नहीं बैठने देंगे।

रावत ने 2024 के लोकसभा चुनावों में कर्मचारियों की एकता के परिणामों का जिक्र करते हुए कहा कि 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले सरकार को जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार कर्मचारियों की मांगों को अनसुना करती है, तो इसका प्रतिकूल असर चुनावों में देखने को मिलेगा।

पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग को लेकर राज्य के कर्मचारी संघों ने एक बार फिर सरकार पर दबाव डालना शुरू कर दिया है।

कर्मचारी संघों का कहना है कि 29 जून 2004 को लागू की गई नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) कर्मचारियों के हितों के खिलाफ है और इसे 'काला कानून' कहा जा रहा है। उनका मानना है कि पुरानी पेंशन स्कीम से वित्तीय सुरक्षा मिलती थी, जो नई स्कीम में नहीं है।

4 नवंबर को आयोजित होने वाली इस महा रैली में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से हजारों कर्मचारी हिस्सा लेंगे। संघों ने स्पष्ट किया है कि यह रैली सिर्फ एक शुरुआत है और यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

महारैली में गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के करीब 40 हजार से अधिक अधिकारी, कर्मचारी, और शिक्षक शामिल होंगे। पौड़ी, श्रीनगर, पिथौरागढ़, चंपावत, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, हल्द्वानी, और उधमसिंह नगर जैसे जिलों से कर्मचारी रैली में भाग लेने के लिए पहुंचेंगे। मोर्चा का मानना है कि केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिलना चाहिए, जैसा कि पहले की पीढ़ियों को मिलता था।

देश भर में पुरानी पेंशन बहाली के समर्थन में जुट रहे इस मोर्चे को अब तक दस से अधिक संगठनों का समर्थन मिल चुका है। मोर्चा का कहना है कि देश की अर्थव्यवस्था पहले की तुलना में मजबूत हो गई है और सरकार को कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। रैली में जम्मू-कश्मीर, केरल, ओडिशा, महाराष्ट्र, और गुजरात जैसे राज्यों से भी कर्मचारी भाग लेंगे।


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