Top
Begin typing your search above and press return to search.

स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान के लिए निजी कंपनी ने एचएएल को सौंपा पहला रियर फ्यूजलेज

स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) एमके 1 ए का रियर फ्यूजलेज (विमान का पिछला हिस्सा) रविवार को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंपा गया

स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान के लिए निजी कंपनी ने एचएएल को सौंपा पहला रियर फ्यूजलेज
X

नई दिल्ली। स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) एमके 1 ए का रियर फ्यूजलेज (विमान का पिछला हिस्सा) रविवार को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंपा गया। एचएएल के एयरक्राफ्ट डिवीजन में इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहे।

रक्षा मंत्री ने इस हस्तांतरण को देश के रक्षा निर्माण के सफर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया। यह पहला रियर फ्यूजलेज है, जिसे भारतीय निजी उद्योग कंपनी अल्फा टोकोल इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने एचएएल को सौंपा है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम और सरकार की सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। गौरतलब है कि कुल 83 हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) एमके 1 ए बनाने के लिए एलएंडटी, अल्फा टोकोल इंजीनियरिंग सर्विसेज, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, वीईएम टेक्नोलॉजीज और लक्ष्मी मिशन वर्क्स जैसी भारतीय निजी कंपनियां विमान के विभिन्न और प्रमुख मॉड्यूल्स की आपूर्ति करेंगी।

एचएएल ने इसके लिए इन कंपनियों के साथ अनुबंध किया है। फ्यूजलेज विमान का मुख्य ढांचा है जिसे धड़ कहा जा सकता है। एक लड़ाकू विमान के मामले में इसमें पायलट का कॉकपिट और बम, मिसाइलें आदि होती हैं। साथ ही कई तरह के उपकरण भी फ्यूजलेज में ही होते हैं। रियर फ्यूजलेज विमान का पिछला हिस्सा है जिससे उसका टेल जुड़ा होता है।

रक्षा मंत्री ने एचएएल को देश के रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र का फ्यूजलेज बताया। उन्होंने कहा कि एलएंडटी, अल्फा टोकोल, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और वीईएम टेक्नोलॉजीज जैसी निजी कंपनियां रियर फ्यूजलेज की भूमिका निभा रही हैं, जो एचएएल का समर्थन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इन भारतीय घटकों के साथ हमारे रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में निर्मित विमान भविष्य में नई ऊंचाइयों को छुएंगे।

राजनाथ सिंह ने भारतीय वायु सेना की बढ़ती ताकत का श्रेय वायु सेना के समर्पित कर्मियों के साथ भारतीय सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रों द्वारा निर्मित उपकरणों को दिया। उन्होंने कहा, “जहां हमारे साहसी एयर वारियर्स ने अमूल्य योगदान दिया है, वहीं भारत में निर्मित उपकरण इन एयर वारियर्स को वह अतिरिक्त ताकत दे रहे हैं, जिसके साथ वे देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं।”

राजनाथ सिंह ने एचएएल और निजी क्षेत्र की सराहना की, जो नवीनतम प्लेटफार्मों और प्रौद्योगिकियों के साथ सशस्त्र बलों को सशक्त बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि एचएएल अपनी रणनीतियों के माध्यम से न केवल सैनिकों की शक्ति को बढ़ा रहा है, बल्कि निजी क्षेत्र के साथ सहयोग कर निर्माण और अनुसंधान एवं विकास के नए आयाम भी खोल रहा है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एचएएल पहले ही 12 (एलसीए) एमके 1 ए विमानों के रियर फ्यूजलेज का निर्माण कर चुका है। ये सभी विमान निर्माण के चरण में हैं। अब इस आपूर्ति के साथ, भारतीय निजी साझेदार कंपनी द्वारा निर्मित एक प्रमुख मॉड्यूल (एलसीए) एमके 1 ए विमान में जोड़ा जाएगा। इससे एचएएल को भारतीय वायुसेना के लिए 2025-26 के बाद अतिरिक्त आपूर्ति में मदद मिलेगी और वायुसेना को तेज गति के साथ अधिक लड़ाकू विमानों की आपूर्ति की जा सकेगी।

इस अवसर पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह, भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी, एचएएल के सीएमडी डी.के. सुनील, अल्फा टोकोल इंजीनियरिंग सर्विसेज के सीईओ विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) बारन सेन और अन्य हितधारक उपस्थित थे।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it