पुलिस ने शंभू बॉर्डर से हटाए किसानों के टेंट, भड़के किसानों ने दी बड़ी चेतावनी
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के धरने को हटाने के लिए पंजाब के पुलिस प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है

नई दिल्ली। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के धरने को हटाने के लिए पंजाब के पुलिस प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है! पंजाब पुलिस ने किसानों के अस्थायी बसेरों को तोड़ दिया, बुलडोजर तक चलाया गया। किसानों में इस कार्रवाई को लेकर भारी आक्रोश है और विपक्ष आम आदमी पार्टी की सरकार पर बरस पड़ा है। आखिर अब आंदोलन किस दिशा में जाएगा?
किसानों ने पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। इस बीच पुलिस ने किसानों पर बड़ा एक्शन लिया है। पंजाब पुलिस ने पिछले काफी वक्त से बंद हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर को जबरन खाली करा दिया है।
वहां आंदोलन कर रहे किसानों को भी हटा दिया दिया गया है। साथ ही सीमा पर बनाए गए बसेरों को भी तोड़ दिया गया है। अस्थायी बसेरों को हटाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया।
किसानों के अस्थायी मंच से पंखे भी हटा दिए गए। इससे पहले केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ किसान नेताओं की बातचीत के तुरंत बाद कई किसानों को हिरासत में लिया गया। इनमें सरवन सिंह पंढेर, अभिमन्यु कोहाड़, जगजीत सिंह डल्लेवाल, मनजीत राय, काका सिंह कोटड़ा और सुखविंदर कौर समेत कई किसान नेता शामिल है।
जहां एक तरफ किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया। तो वहीं, दूसरी तरफ पुलिस ने दोनों बॉर्डर पर बुलडोजर से किसानों द्वारा बनाए गए शेड तोड़ दिए। जिसको लेकर जमकर सियासत भी शुरू हो गई। किसान भड़क उठे है। वहीं, विपक्ष ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पहले शांति समझौते के लिए बुलाया, फिर गिरफ्तारी का कुच्रक चलाया! भाजपा की केंद्र सरकार व पंजाब की आम आदमी सरकार ने मिलकर किसानों को MSP गारंटी पर बात चीत को बुलाकर और “धोखे से गिरफ्तारी” कर विश्वासघात किया है।
वहीं, इस पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि किसानों पर साजिश के तहत हमला किया जा रहा है। सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि पूरा किसान समुदाय आज एक बड़े हमले का सामना कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने पंजाब सरकार की इस कार्रवाई की निंदा की हैं। वहीं, किसानों ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा कर दी है। जिसके बाद सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या किसानों के इस हाल के लिए सिर्फ पंजाब सरकार ज़िम्मेदार है या केंद्र अपनी ज़िम्मेदारी से बचने के ले राज्य सरकार को ज़िम्मेदार ठहरा रहा है।


