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पीएम मोदी को सरदार पटेल के विचारों पर कायम रहना चाहिए : कांग्रेस नेता सुभाषिनी यादव

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना सरदार वल्लभ भाई पटेल से की। उनकी इस तुलना पर कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव सुभाषिनी यादव ने तंज कसा है। उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से कई खामियां गिना दीं

पीएम मोदी को सरदार पटेल के विचारों पर कायम रहना चाहिए : कांग्रेस नेता सुभाषिनी यादव
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नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना सरदार वल्लभ भाई पटेल से की। उनकी इस तुलना पर कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव सुभाषिनी यादव ने तंज कसा है। उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से कई खामियां गिना दीं।

आईएएनएस से बातचीत में सुभाषिनी यादव ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के सरदार वल्लभ भाई पटेल एक महान नेता रहे हैं। कांग्रेस ने हमेशा उनका सम्मान किया है। अगर कोई पीएम मोदी में सरदार पटेल की छवि देखता है, तो यह अच्छी बात है। क्योंकि सरदार पटेल ने देश के अंदर से राजशाही के साथ-साथ भेदभाव को मिटाने का काम किया है। सरदार पटेल ने जिस तरह से देश को एकजुट और मजबूत करने का काम किया है, वह प्रेरणादायक है। पीएम मोदी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

उन्होंने फिर जनता से किए गए वादों को याद दिलाया। बोलीं, इसका मतलब यह है कि पीएम मोदी ने अपना वादा निभाया क्योंकि सरदार पटेल ने देश की जनता से जो भी वादा किया, उसे निभाया।

इसके साथ ही उन्होंने शिकायती लहजे में कहा, पीएम मोदी ने देश के दो करोड़ युवाओं को रोजगार देने का भी वादा किया तो क्या उन्होंने अपना वादा निभाया।

महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस और शिवसेना के कई उम्मीदवार आमने-सामने हैं। क्या गठबंधन में सब कुछ ठीक चल रहा है? इस पर उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में बदलाव होने वाला है। अगले महीने जब चुनाव नतीजे आएंगे तो आप देखेंगे कि महाविकास अघाड़ी की सरकार बनेगी। कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं। कुछ सीटों पर उतार-चढ़ाव हो सकता है।

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता समेत अन्य भाजपा विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट से मांग की है कि वह दिल्ली सरकार को निर्देश दे कि वह भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट उपराज्यपाल (एलजी) को भेजे। इस पर उन्होंने कहा कि सरकार की एक प्रक्रिया होती है। अगर उसमें किसी तरह का काम होता है तो उसकी रिपोर्ट जारी होनी चाहिए। लेकिन जिस तरह से अभी देखा जा रहा है कि दिल्ली सरकार जनता के मुद्दों पर खुलकर बात नहीं कर पा रही है। तो यह बहुत जरूरी है कि वह यह रिपोर्ट जारी करे।


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