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पीएम मोदी का संघीय जीवन उनकी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पहली पाठशाला : विष्णु पंड्या

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ पॉडकास्ट में गोधरा कांड, आरएसएस, सहित जीवन से जुड़ी अन्य बातों का जिक्र किया

पीएम मोदी का संघीय जीवन उनकी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पहली पाठशाला : विष्णु पंड्या
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अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ रविवार को पॉडकास्ट में गोधरा कांड, आरएसएस, सहित जीवन से जुड़ी अन्य बातों का जिक्र किया। तीन घंटे से अधिक समय तक चले इस पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने अपने संघर्ष के बारे में भी बताया कि कैसे उनकी मां घर का गुजारा चलाने के लिए दूसरे के घरों में काम तक करती थीं। कैसे उन्होंने संन्यास लेने का फैसला लिया था। कैसे उन्होंने संघ ज्वाइन की। पीएम मोदी के पॉडकास्ट उनकी बातों को विस्तार से बताने के लिए पद्मश्री वरिष्ठ पत्रकार विष्णु पंड्या ने सोमवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस बात की।

विष्णु पंड्या ने कहा कि पीएम मोदी का संघीय जीवन उनकी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की पहली पाठशाला है। यह बात तो बिल्कुल सही है आरएसएस की पहचान विरोधाभास जुड़ी हुई है। 1925 में संघ की स्थापना हुई और तब से लेकर अब तक विशेष वर्ग इसे सांप्रदायिक कहते हैं। नरेंद्र मोदी जैसे व्यक्ति इसमें शामिल हुए और इसे विकसित करने के लिए अथक प्रयास किए। आरएसएस व्यक्तिगत लाभ के बारे में नहीं बल्कि सेवा के बारे में है। यहां काम करने वाले प्रचारक एक बड़े उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना घर छोड़ देते हैं।

नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के सफर के बारे में विष्णु पंड्या ने कहा कि जिस वक्त उन्हें सीएम बनाया जा रहा था। गुजरात की स्थिति ठीक नहीं थी। उन्होंने गुजरात के राजनीतिक नेताओं द्वारा वर्षों से सामना किए गए संघर्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवराज मेहता, चिमनभाई पटेल और माधवसिंह सोलंकी जैसे लोगों को संघर्ष करना पड़ा। उन सभी ने गुजरात में अपनी राजनीतिक यात्रा में चुनौतियों का सामना किया। मोदी के कार्यभार संभालने से पहले भी सांप्रदायिक समस्याएं मौजूद थीं। लेकिन, नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद तीन-चार बातों पर विशेष ध्यान दिया। गुजरात का नाम जो उपेक्षित था। उसे सुधारने का काम किया। खेती के मामलों में विशेष ध्यान दिया।

पीएम मोदी के परिवार के बारे में विष्णु पंड्या ने कहा कि नरेंद्र मोदी का जन्म वडनगर में मोदी परिवार में हुआ था। मोदी परिवार एक साधारण परिवार था। उन्होंने खुद बताया कि उनकी मां घर की आर्थिक स्थिति को संतुलित करने के लिए बाहर काम करने जाती थीं, अलग-अलग तरह के काम करती थीं, जिसमें सिलाई-कढ़ाई का काम भी शामिल था। नरेंद्र मोदी नजदीकी रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को चाय पिलाते थे। उन्होंने रामकृष्ण मिशन में शामिल होकर संन्यासी बनने की भी कोशिश की, लेकिन कम उम्र के कारण उन्हें घर लौटने के लिए कहा गया। आखिरकार, वह जनसंघ में शामिल हो गए।

पॉडकास्ट में पीएम मोदी के अध्यात्म की शक्ति से सब कुछ संभव है, इस बयान पर विष्णु पंड्या ने कहा कि नरेंद्र मोदी के स्वामीनारायण संप्रदाय के नेता प्रमुख स्वामी महाराज से अच्छे संबंध थे, लेकिन मुझे नहीं लगता कि उनका किसी विशेष संप्रदाय की ओर झुकाव था। वे सभी संप्रदायों से जुड़े थे और संप्रदाय की सीमाओं से परे संतों और महात्माओं से भी मिले थे। अगर हम उनके आध्यात्मिक प्रभाव की बात करें तो यह रामकृष्ण मिशन-स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण देव से था। इसलिए वह अल्मोड़ा गए। राजकोट में गए थे।

पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने कहा कि वह विदेश दौरे पर पीएम के तौर पर नहीं बल्कि प्रधानसेवक के तौर पर जाते हैं। पीएम के इस बयान पर विष्णु पंड्या ने कहा कि पीएम मोदी में अहंकार नहीं है। 2014 से लगातार तीसरी बार वह पीएम बने हैं। वह जानते हैं कि 140 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश में वह जनता के हितों के लिए काम कर रहे हैं। मानव सेवा सबसे ऊपर है।

उन्होंने मोदी के आध्यात्मिक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि वे प्रमुख स्वामी से प्रेरित थे, लेकिन एक संप्रदाय तक सीमित नहीं थे। उन्होंने कई गुरुओं से प्रेरणा ली। रामकृष्ण आश्रम ने उन्हें काफी हद तक आकार दिया। उनकी भक्ति अद्वितीय थी- पहले अपनी मां के प्रति और फिर भारत माता के प्रति।

पीएम मोदी के उपवास रखने पर विष्णु पंड्या ने कहा कि चैत्र नवरात्रि के दौरान (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्ण उपवास रखते हैं, भोजन और पेय से परहेज करते हैं। शायद कुछ स्थानों पर वे जूस जैसी कुछ चीजें लेते हैं, लेकिन अधिकांशतः वे आठों दिन सख्ती से उपवास रखते हैं। यह गहरी आस्था का एक रूप है। जब भी कठिनाइयां या चुनौतियां आती हैं, तो वे भगवद गीता का अध्ययन करते हैं।


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