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बिहार विधानसभा में विपक्षी दलों का विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रदर्शन

बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को भी विपक्षी सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रदर्शन और हंगामा किया। मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले विधानसभा परिसर में विपक्षी सदस्य पोस्टर लेकर जुटे और नारेबाजी की। राजद के विधायकों ने आरक्षण की मांग को लेकर हंगामा किया। वहीं, भाकपा (माले) के विधायकों ने भ्रष्टाचार को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की

बिहार विधानसभा में विपक्षी दलों का विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रदर्शन
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पटना। बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को भी विपक्षी सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर प्रदर्शन और हंगामा किया। मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के पहले विधानसभा परिसर में विपक्षी सदस्य पोस्टर लेकर जुटे और नारेबाजी की। राजद के विधायकों ने आरक्षण की मांग को लेकर हंगामा किया। वहीं, भाकपा (माले) के विधायकों ने भ्रष्टाचार को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

भाकपा (माले) के विधायकों ने कहा कि सोन नहर का आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए, जिससे किसानों को लाभ मिल सके। उन्होंने बांध निर्माण को लूट का धंधा बनाना बंद करने, बागमती तटबंध से संबंधित रिव्यू कमेटी की अनुशंसा को सार्वजनिक करने, सभी बंद पड़े सरकारी नलकूपों को जल्द से जल्द चालू करने समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन किया।

विधायकों ने कहा कि बिहार बाढ़ और सुखाड़ से हमेशा तबाह रहा है। लेकिन, 20 सालों में सरकार बाढ़ और सुखाड़ का कोई निदान नहीं निकाल सकी है। बाढ़ की तैयारी को लेकर पैसों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है। भ्रष्टाचार के कारण आज भी समस्या जस की तस बनी हुई है।

विधानसभा के बाहर राजद विधायकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और 'आरक्षण चोर' कहते हुए गद्दी छोड़ने की मांग की। इसके साथ ही आरक्षण से छेड़छाड़ का आरोप भी लगाया।

राजद के विधायकों ने कहा कि जातीय गणना के बाद आरक्षण की सीमा को महागठबंधन सरकार ने बढ़ाने का काम किया था। लेकिन, एनडीए की सरकार में इसे फंसाने का काम किया। उन्होंने भाजपा को 'आरक्षण चोर' बताते हुए कहा कि महागठबंधन सरकार में जातीय गणना हुई। उसके बाद आरक्षण का दायरा 16 प्रतिशत बढ़ाकर कुल 65 प्रतिशत किया गया।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से आग्रह किया गया कि बढ़े आरक्षण को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद पटना हाईकोर्ट में मामला गया तो रद्द हो गया और अब सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण का मामला चल रहा है। 65 प्रतिशत आरक्षण लागू करके नौंवी अनुसूची में शामिल करवाना है।


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