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विपक्षी सदस्यों ने पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की व्यावहारिकता पर उठाये सवाल

एक राष्ट्र एक चुनाव से संबंधित विधेयकों की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति की बुधवार को यहां पहली बैठक हुई जिसमें विपक्षी सदस्यों ने समूचे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए जरूरी संसाधनों तथा व्यवस्था से संबंधित सवाल उठाये और समिति का कार्यकाल बढाये जाने की मांग की

विपक्षी सदस्यों ने पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की व्यावहारिकता पर उठाये सवाल
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नई दिल्ली। एक राष्ट्र एक चुनाव से संबंधित विधेयकों की समीक्षा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति की बुधवार को यहां पहली बैठक हुई जिसमें विपक्षी सदस्यों ने समूचे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए जरूरी संसाधनों तथा व्यवस्था से संबंधित सवाल उठाये और समिति का कार्यकाल बढाये जाने की मांग की।

समिति की एक घंटे से भी अधिक समय तक चली बैठक के दौरान विपक्षी सदस्यों ने पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए विशेष रूप से इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों और सुरक्षा तंत्र तथा इस पर आने वाले खर्च का सवाल उठाया और पूछा कि इसे कैसे पूरा किया जायेगा। सदस्यों ने समिति का कार्यकाल बढाये जाने का भी मुद्दा उठाया। समिति को बजट सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक अपनी रिपोर्ट देनी है।
बैठक में विधि और न्याय मंत्रालय की ओर से सदस्यों को प्रस्तावित कानूनों के बारे में विस्तार से बताया गया। इसके अलावा सदस्यों को कई हजार पन्नों की रिपोर्ट भी अध्ययन के लिए दी गयी।

भारतीय जनता पार्टी के सांसद पी पी चौधरी की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति में 39 सदस्य हैं जिनमें 27 लोकसभा और 12 राज्यसभा के हैं। समिति के प्रमुख सदस्यों में कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, भाजपा के अनुराग ठाकुर, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी , राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की सुप्रिया सुले और कांग्रेस के मनीष तिवारी तथा भाजपा के संबित पात्रा आदि शामिल हैं।


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