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बीपीएससी अभ्यर्थियों के प्रदर्शन को उग्र बना रहा विपक्ष : अरुण भारती

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर बढ़ते विवादों पर लोजपा (रामविलास) के सांसद अरुण भारती ने अपनी प्रतिक्रिया दी

बीपीएससी अभ्यर्थियों के प्रदर्शन को उग्र बना रहा विपक्ष : अरुण भारती
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पटना। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर बढ़ते विवादों पर लोजपा (रामविलास) के सांसद अरुण भारती ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बीपीएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रणाली को कैसे और बेहतर किया जाए, यह जिम्मेदारी प्रशासन और आयोग की है। उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीति करने के प्रयासों को नकारते हुए कहा कि युवाओं के भविष्य को राजनीति का हथियार नहीं बनाना चाहिए।

अरुण भारती ने कहा कि बीपीएससी या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में परीक्षा प्रणाली को सुधारने की जिम्मेदारी प्रशासन की है। जब कोई नई परीक्षा प्रणाली आती है तो अभ्यर्थियों के मन में स्वाभाविक रूप से चिंताएं होती हैं। चूंकि मैं भी एक समय पर अभ्यर्थी रहा हूं, मैंने खुद भी प्रवेश परीक्षाओं का सामना किया है, जैसे कैट, एमबीए के प्रवेश परीक्षा आदि। मैं समझता हूं कि परीक्षा की तैयारी कितनी कठिन होती है और उसमें क्या-क्या समस्याएं आती हैं। ऐसे में जब भी कोई चिंता या समस्या उत्पन्न हो, तो उसका समाधान संवाद के जरिए किया जाना चाहिए। लेकिन, जिस तरीके से विपक्षी दलों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन को उग्र बनाने के लिए कुछ असामाजिक तत्वों को घुसाया, वह बिल्कुल गलत है। युवाओं के भविष्य को राजनीतिक मुद्दा बनाना न केवल गलत है, बल्कि यह उनके अधिकारों और सपनों से खिलवाड़ भी है।

विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह अप्रासंगिक हो चुके राजनीतिक दलों के नेताओं से सवाल पूछा जाना चाहिए कि वह खुद कितने प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हुए हैं। उन्होंने कभी किसी प्रवेश परीक्षा का सामना किया है? वह यह बता सकते हैं कि उन्होंने अपनी स्नातक डिग्री के लिए प्रवेश परीक्षा दी थी या नहीं? क्या उन्होंने कैट या जीमैट जैसी कठिन परीक्षाओं का सामना किया है? उन्होंने कहा कि जिन नेताओं ने इन परीक्षाओं का सामना नहीं किया, वह अभ्यर्थियों की कठिनाइयों और समस्याओं को कहां से समझ सकते हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि प्रतियोगी परीक्षाओं के मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए और सभी को मिलकर इसे सुधारने का प्रयास करना चाहिए।

इससे पहले, उन्होंने भाजपा सांसद ज्योतिर्मय महतो की ओर से बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस को दिए गए नोबेल पुरस्कार को वापस लेने के संबंध में नोबेल कमेटी को पत्र लिखे जाने पर कहा कि मोहम्मद यूनुस को नोबेल शांति पुरस्कार दिए जाने के बाद उनके कार्यों में जो बदलाव देखने को मिले हैं, उस पर विचार करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मोहम्मद यूनुस को जब नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था, तो उनके योगदान को देखकर दिया गया था। लेकिन, वर्तमान में जो बांग्लादेश में उनके कार्यकलाप हैं और प्रशासन को लेकर जो स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं, उन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। इस विषय पर नोबेल कमेटी को समीक्षा करनी चाहिए। भाजपा सांसद ज्योतिर्मय महतो ने जो पत्र लिखा है, वह सही है और अब इस मुद्दे पर सटीक जांच होनी चाहिए कि नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद यूनुस के कार्यों का क्या प्रभाव पड़ा है।


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