6 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करेंगे किसान
किसान लगातार मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाते नज़र आ रहे हैं। पंजाब हरियाणा बॉर्डर से लेकर यूपी दिल्ली बॉर्डर तक संग्राम छिड़ गया है। पुलिस ने यहां तक कि किसानों के प्रदर्शन को रोकने के लिए उनकी गिरफ्तारी भी शुरू कर दी है। ऐसे में किसानों के अंदर भी आक्रोश नज़र आ रहा हैं। प्रदेश की बीजेपी सरकार समेत मोदी सरकार सवालों से घिर गई है

नोएडा। किसान लगातार मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ाते नज़र आ रहे हैं। पंजाब हरियाणा बॉर्डर से लेकर यूपी दिल्ली बॉर्डर तक संग्राम छिड़ गया है। पुलिस ने यहां तक कि किसानों के प्रदर्शन को रोकने के लिए उनकी गिरफ्तारी भी शुरू कर दी है। ऐसे में किसानों के अंदर भी आक्रोश नज़र आ रहा हैं। प्रदेश की बीजेपी सरकार समेत मोदी सरकार सवालों से घिर गई है।
उत्तर प्रदेश में किसानों का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है। जहां पुलिस ने 34 प्रदर्शनकारी किसानों को गिरफ्तार कर लिया है। पहले पुलिस ने नोएडा में जीरो पॉइंट पर धरने के लिए बैठे किसानों को हटाया। लेकिन किसान प्रदर्शन पर अड़े रहे और जीरो पॉइंट से दलित प्रेरणा स्थल की तरफ बढ़ने लगे। इस बीच पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। जिससे किसानों में काफी आक्रोश है।
किसान स्थानीय भूमि अधिग्रहण से जुड़े मुद्दों और मुआवजा की विसंगतियां और अपने अधिकारों को के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए दिल्ली कूच पर अड़े हुए हैं और पुलिस की ये कार्रवाई सीएम योगी के उस आदेश के बाद सामने आई जिसमें उन्होंने साफ़ कर दिया कि अराजकता कहीं भी बर्दाश्त नहीं होगी। ऐसे में योगी सरकार सवालों से घिर गई है। सवाल ये उठ रहे हैं कि किसानों का प्रदर्शन अराजकता कैसे हुआ ? भारतीय किसान यूनियन ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताते हुए कहा की लड़ाई जारी रहेगी। यानी उन्होंने साफ़ कर दिया है कि वो पीछे नहीं हटेंगे।
वहीं शम्भू बॉर्डर पर भी बवाल मचा हुआ है। हरियाणा पुलिस के इनकार के बावजूद किसान 6 दिसंबर को दिल्ली कूच पर अड़ गए हैं। उन्होंने पहले दिन यहां से 100 किसानों के जत्थे के पैदल दिल्ली रवाना होने का ऐलान भी कर दिया है। किसानों ने यह भी साफ कर दिया है कि सिर्फ शंभू बॉर्डर से ही दिल्ली कूच होगा। खनौरी बॉर्डर पर उनका अनशन ही रहेगा। जिसे देखते हुए हरियाणा पुलिस ने अंबाला की तरफ बैरिकेडिंग बढ़ानी शुरू कर दी है। अंबाला में पहले से ही बीएनएस की धारा 163 लागू है। जिसके तहत अंबाला की सीमा के अंदर किसी तरह के प्रदर्शन के लिए मंजूरी लेनी जरूरी होगी। इसके बावजूद किसान अपने कदम पीछे खींचते नज़र नहीं आ रहे। ऐसे में मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।


