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साइबर युद्ध और आतंकवाद जैसी चुनौतियों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता : राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि तेजी से बदलते भू-राजनीतिक परिस्थितियों में हमें किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने की आवश्यकता है

साइबर युद्ध और आतंकवाद जैसी चुनौतियों के लिए तैयार रहने की आवश्यकता : राष्ट्रपति मुर्मू
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नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को कहा कि तेजी से बदलते भू-राजनीतिक परिस्थितियों में हमें किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने की आवश्यकता है। हमें न केवल अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखना है, बल्कि साइबर युद्ध और आतंकवाद जैसी नई राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना है।

तमिलनाडु के वेलिंगटन में रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) में प्रशिक्षण ले रहे सेना के अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बातें कहीं।

राष्ट्रपति ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि महिला अधिकारी अब तीनों सेनाओं की विभिन्न इकाइयों की कमान संभाल रही हैं। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती ताकत और भूमिका सभी के लिए, खासकर युवतियों के लिए उत्साहजनक और प्रेरणादायक है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि अधिक से अधिक महिलाएं सशस्त्र बलों में शामिल होंगी, जहां वे अपनी असाधारण क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए नए क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों को हासिल कर सकती हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश आगे बढ़ रहा है और रक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में भारत के विकास को दुनिया स्वीकार कर रही है। भारत भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए सशस्त्र बलों को तैयार रखने के लिए स्वदेशीकरण और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश को एक प्रमुख रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। हम एक विश्वसनीय रक्षा भागीदार और बड़ा रक्षा निर्यातक बनने की ओर अग्रसर हैं।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पाठ्यक्रम छात्र अधिकारियों को जटिल परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार करेगा। राष्ट्रपति ने सशस्त्र बलों के भावी उच्चाधिकारियों को विकसित करने में संस्थान की अद्वितीय भूमिका की सराहना की।

राष्ट्रपति ने डीएसएससी में पाठ्यक्रम में भाग लेने वाले सभी छात्र अधिकारियों से बातचीत की। राष्ट्रपति ने यहां युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि भी अर्पित की तथा पूर्व सैनिकों और वीरांगनाओं से बातचीत की। राष्ट्रपति ने राष्ट्र की सेवा में वीरांगनाओं के प्रियजनों के सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें सम्मानित किया।

वर्ष 1948 में स्थापित, डीएसएससी रक्षा बलों के अधिकारियों के संयुक्त प्रशिक्षण का एक प्रमुख संस्थान है। इसका उद्देश्य भारत और मित्र देशों के सशस्त्र बलों के चयनित मध्यम-स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षित करना और उनके कौशल को निखारना है। अपनी स्थापना के बाद से, कॉलेज ने दो हजार से अधिक अंतर्राष्ट्रीय अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है और 24 हजार भारतीय अधिकारियों ने इसके पोर्टल पर जानकारी प्राप्त की है।


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