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मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को कर दिया बर्बाद : मल्लिकार्जुन खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार की नीतियों को देश के आर्थिक विकास के दिए दिशाहीन तथा नीतिहीन करार देते हुए कहा है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है और देशवासियों का जीवन बर्बाद हो रहा है

मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को कर दिया बर्बाद : मल्लिकार्जुन खरगे
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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार की नीतियों को देश के आर्थिक विकास के दिए दिशाहीन तथा नीतिहीन करार देते हुए कहा है कि इससे देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है और देशवासियों का जीवन बर्बाद हो रहा है।

खरगे ने कहा “इससे अधिक विडंबनापूर्ण कुछ नहीं हो सकता कि मोदी सरकार के वित्त मंत्री यह कहें कि हमारी अर्थव्यवस्था 'अच्छा रिटर्न' दे रही है। इस साल अब तक भारतीय शेयर बाजारों से 45 लाख करोड़ रुपए का सफाया हो चुका है। निफ्टी 50 कंपनियों ने 5 वर्षों में सबसे खराब तिमाही लाभ वृद्धि दिखाई है। अक्टूबर से विदेशी निवेशकों ने 1.56 लाख करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे हैं जिसमें 2025 में लगभग एक लाख लाख करोड़ भी शामिल है जिसके कारण छोटे और मध्यम निवेशकों की संपत्ति खत्म हो गई है।”

उन्होंने कहा “रुपया 87 पर, मतलब व्यापार घाटा आसमान छू रहा है। पिछले 05 वर्षों में आयात 62.21 प्रतिशत बढ़ गया है। मोदी सरकार की व्यापार नीति भारत के लिए विनाशकारी है। निर्यात वृद्धि यूपीए सरकार में 2004-14 में 549.36 मोदी 2014-24 -24.72 प्रतिशत अप्रैल- नवंबर 2024 तक ही। इस सरकार ने पिछले 10 वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपयेका कॉर्पोरेट टैक्स राजस्व माफ कर दिया है, इस उम्मीद में कि वे नौकरियां पैदा करेंगे लेकिन कॉर्पोरेट करों में कटौती से लाभान्वित होने वाली 9 में से 8 कंपनियों ने नौकरियां कम कर दी हैं।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी सरकार को दृष्टिहीन, दिशाहीन और नीतिहीन करार देते हुए कहा कि इस सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है जिसके कारण देशवासियों का जीवन बर्बाद हो गया है।

उन्होंने देश के समक्ष मौजूद स्थितियों का जिक्र करते हुए कहा “भारत वैश्विक टैरिफ युद्ध का सामना कर रहा है। हमारा विनिर्माण क्षेत्र डूब रहा है। मेक इन इंडिया और पीएलआई योजनाएं विफल हो गई हैं। युवा बेरोजगारी का कोई समाधान नहीं है। मूल्य वृद्धि बचत को खत्म कर रही है। खपत गिर रही है, बजट से राहत नहीं। ग्रामीण मजदूरी में शून्य वृद्धि देखी गई है। पिछले 10 वर्षों में रुपये का मूल्य 43 प्रतिशत गिर गया है। जबरन तेल-गैस खरीदने से हमारे आयात बिल पर बोझ पड़ेगा।”


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