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भू-राजनीतिक खतरों और अवसरों के लिए सैन्य कमांडर रहें तैयार : विदेश मंत्री

इंडियन आर्मी के कमांडरों को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने तेजी से विकसित हो रहे भू-राजनीतिक खतरों और अवसरों के लिए उन्‍हें तैयार रहने को कहा

भू-राजनीतिक खतरों और अवसरों के लिए सैन्य कमांडर रहें तैयार : विदेश मंत्री
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नई दिल्ली। इंडियन आर्मी के कमांडरों को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने तेजी से विकसित हो रहे भू-राजनीतिक खतरों और अवसरों के लिए उन्‍हें तैयार रहने को कहा। विदेश मंत्री ने भारत को प्रभावित करने वाली जटिल वैश्विक और भू-राजनीतिक गतिशीलता को रेखांकित किया। उन्होंने वर्तमान विश्व व्यवस्था के विरोधाभासों और चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक तैयारियों पर प्रकाश डाला।

विदेश मंत्री मंगलवार को आर्मी कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सतर्क रहने के लिए भारतीय सेना की सराहना की और वरिष्ठ अधिकारियों से तेजी से विकसित हो रहे भू-राजनीतिक खतरों और अवसरों के लिए तैयार रहने का आग्रह किया। भारत की रणनीतिक स्थिति को आकार देने में तकनीकी प्रगति और चल रहे वैश्विक संघर्षों से सीखे गए सबक के महत्व पर जोर दिया।

आर्मी कमांडरों का यह सम्मेलन मंगलवार को नई दिल्ली में संपन्न हुआ। 28 और 29 अक्टूबर को आयोजित इस सम्मेलन में भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीमा सुरक्षा और भीतरी इलाकों को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। सम्मेलन के दौरान भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से परिचालन और प्रशासनिक मुद्दों पर चर्चा की।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने वर्तमान सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करते हुए, संयुक्तता के महत्व और सभी क्षेत्रों में बेहतर एकीकरण की रूपरेखा पर जोर दिया। यहां संयुक्तता का संदर्भ आर्मी, नेवी और एयर फोर्स की जॉइंट कमांड से है, जो भविष्य के युद्ध और प्रभावी संचालन के लिए महत्वपूर्ण है। सीडीएस ने सेनाओं के एकीकरण की दिशा में चरण-दर-चरण दृष्टिकोण की रूपरेखा तैयार की है। यह क्रॉस-सर्विस सहयोग से शुरू होकर, 'संयुक्त संस्कृति' की ओर आगे बढ़ते हुए संयुक्त संचालन के लिए पूर्ण एकीकरण की बात करती है।

उन्होंने उभरती चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए परिचालन तत्परता की आवश्यकता को दोहराया। यहां नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने प्रौद्योगिकी और रणनीति में तेजी से बदलती गतिशीलता पर चर्चा की। एडमिरल त्रिपाठी ने सशस्त्र बलों को इन परिवर्तनों के प्रति सक्रिय और अनुकूलनशील बने रहने की आवश्यकता बल दिया। उन्होंने खासकर हिंद महासागर और भारत-प्रशांत क्षेत्रों पर जोर दिया।

उन्होंने इन रणनीतिक जलक्षेत्रों में श्रेष्ठ परिचालन की क्षमता बनाए रखने के महत्व को रेखांकित किया व नौसेना की तैयारियों पर प्रकाश डाला। सेना के अधिकारियों ने सम्मेलन के दौरान सैनिकों और उनके परिवारों के लिए कल्याणकारी उपायों और वित्तीय सुरक्षा योजनाओं पर भी विचार-विमर्श किया।

सम्मेलन का समापन ग्रीन मिलिट्री स्टेशन और एविएशन फ्लाइट सेफ्टी के लिए कई श्रेणियों में सैन्य स्टेशनों को पुरस्कारों के वितरण के साथ हुआ। इसमें पर्यावरणीय स्थिरता और सुरक्षा के प्रति सेना की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस सम्मेलन ने भारतीय सेना की तत्परता और अनुकूलनशीलता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की। यहां वरिष्ठ अधिकारियों ने परिवर्तनकारी पहलों में तेजी लाने और विभिन्न राष्ट्रीय प्रयासों में सक्रिय रूप से योगदान देने का संकल्प लिया। दूरदर्शी दृष्टिकोण पर जोर देते हुए, भारतीय सेना उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है, जिससे भारत के रणनीतिक हितों के अनुरूप एक प्रगतिशील, मजबूत और भविष्य के लिए तैयार बल सुनिश्चित किया जा सके।


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