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कई बीजेपी नेताओं के घर 'शीश महल' से बढ़कर : क्लाइड क्रैस्टो

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के ‘शीशमहल’ का वीडियो पहली बार सामने आने के बाद उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं

कई बीजेपी नेताओं के घर शीश महल से बढ़कर : क्लाइड क्रैस्टो
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मुंबई। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के ‘शीशमहल’ का वीडियो पहली बार सामने आने के बाद उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। भाजपा नेता वीरेंद्र सचदेवा ने यह वीडियो शेयर किया है जिस पर कई नेताओं की प्रतिक्रिया आई है।

एनसीपी (एसपी) नेता क्लाइड क्रैस्टो ने मंगलवार को आईएएनएस से कहा, ''भारतीय जनता पार्टी की दूसरों पर टिप्पणी करने की आदत हो गई है। वे दूसरों के गिरेबां में झांकते हैं लेकिन अपने गिरेबां में कभी नहीं देखते। अगर 'शीश महल' की बात की जाए तो दिल्ली में ऐसे कितने ही भाजपा नेता हैं जिनके घर 'शीश महल' से बढ़कर हैं।''

उन्होंने कहा, ''इस तरह की बातें करके और अरविंद केजरीवाल जी की निंदा करके उन्‍हें क्‍या हासिल होगा। वोट देने का फैसला तो जनता का ही है। भारतीय जनता पार्टी यह बताए कि वह दिल्ली के लिए क्या करेगी, उस पर बात करिए न। भाजपा बताए कि वह जनता के लिए क्या कर रही है। दिल्ली की जनता सब जानती है। वह ध्‍यान में रखकर ही अपने वोट का फैसला लेगी।''

दो राज्यों के नेताओं में कर्नाटक के बेलगाम को लेकर बहस छिड़ी हुई है। महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा पर स्थित बेलगाम को लेकर शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाए। उनके इस बयान पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने पलटवार करते हुए इसे 'बचकाना बयान' करार दिया।

इस मामले पर क्लाइड क्रैस्टो ने आईएएनएस से कहा, ''बेलगाम का मामला काफी समय से चल रहा है। महाराष्ट्र की सरकार जो अभी आई है, उन्हें इस पर ध्यान देना चाहिए। वहां महाराष्ट्रीकरण समिति की जो मांगे हैं, वह क्या है उन्हें समझ लेना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में चल रही महाराष्ट्र सरकार का यह कर्तव्य है कि वह इस मामले का निवारण करे ताकि वहां के लोगों को कोई तकलीफ न हो।

बता दें कि बेलगाम या बेलगावी विवाद महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच एक लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद है। यह विवाद मुख्य रूप से बेलगावी जिले को लेकर है। वर्तमान में यह जिला कर्नाटक का हिस्सा है। साल 1956 में जब भारत में राज्यों का पुनर्गठन भाषाई आधार पर किया गया, तब बेलगावी जिले को कर्नाटक में शामिल कर दिया गया। महाराष्ट्र का कहना है कि इस जिले में मराठी भाषी लोगों की संख्या बहुत अधिक है, इसलिए यह क्षेत्र भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से महाराष्ट्र का हिस्सा होना चाहिए, जबकि कर्नाटक का तर्क है कि बेलगावी सदियों से कर्नाटक का हिस्सा रहा है। यहां की संस्कृति कन्नड़ संस्कृति से गहरे जुड़ी हुई है।


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