‘मृत्युकुंभ’ में बदल गया है महाकुंभ : ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को महाकुंभ के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की योजना की आलोचना की तथा प्रयागराज में धार्मिक समागम के दौरान भगदड़ और अन्य दुर्घटनाओं में हुई मौतों को लेकर इसे ‘मृत्युकुंभ’ करार दिया

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को महाकुंभ के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की योजना की आलोचना की तथा प्रयागराज में धार्मिक समागम के दौरान भगदड़ और अन्य दुर्घटनाओं में हुई मौतों को लेकर इसे ‘मृत्युकुंभ’ करार दिया।
सुश्री बनर्जी ने राज्य विधानसभा को संबोधित करते हुए महाकुंभ के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से की गयी व्यवस्थाओं का उल्लेख किया और कहा कि यह ‘मृत्युकुंभ’ में बदल गया है। इसके तुरंत बाद उन्होंने कहा, “हालांकि मैं महाकुंभ का सम्मान करती हूं।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मौतों की संख्या स्पष्ट नहीं है और उन्होंने वीआईपी लोगों के लिए विशेष व्यवस्था करने और गरीब तीर्थयात्रियों की ‘उपेक्षा’ करने के लिए उत्तर प्रदेश प्रशासन की आलोचना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वीआईपी को विशेष सुविधाएं दी जा रही हैं, जबकि गरीब लोगों को आवश्यक सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने पूछा, “पवित्र स्नान के लिए कोई विशेष स्थल क्यों है?” उन्होंने आश्चर्य जताते हुए पूछा कि प्रीमियम कीमतों के बदले की गयी विशेष व्यवस्थाओं से प्राप्त राशि कहां गयी। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की योजना पर सवाल उठाया और पूछा कि महाकुंभ को इतना प्रचारित क्यों किया गया।
सुश्री बनर्जी ने उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर ‘देश को विभाजित करने के लिए धर्म को बेचने’ का आरोप लगाया और दुर्घटनाओं के लिए उचित योजना की कमी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “यह वास्तव में ‘मृत्यु कुंभ’ है। मैं महाकुंभ का सम्मान करती हूं और पवित्र गंगा मां का भी सम्मान करती हूं। लेकिन कोई योजना नहीं है। कितने लोगों को बचाया गया है? अमीरों और वीआईपी के लिए, उच्च कीमतों पर शिविर लगाने की व्यवस्था है, लेकिन गरीबों के लिए, कुंभ में कोई व्यवस्था नहीं है।”
उन्होंने कई पीड़ितों के शवों को बिना किसी पोस्टमार्टम और मृत्यु प्रमाण पत्र के सौंपे जाने की ओर इशारा करते हुए कहा, “जब हम 2011 में सत्ता में आये थे, तब एक अस्पताल में आग लग गयी थी, जिसमें 110 से अधिक लोग मारे गये थे और हमने उसी रात सभी का पोस्टमार्टम किया तथा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया। साथ ही पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी दी।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “हम हर साल गंगासागर मेला आयोजित करते हैं और छह महीने से अधिक समय तक मैं ही इसकी व्यवस्था करती हूं और इसकी देख-रेख करती हूं। तीर्थयात्रियों की सुरक्षित वापसी के लिए मैं चार कैबिनेट मंत्रियों को नियुक्त करती हूँ। हम गंगासागर मेले के दौरान किसी भी वीआईपी को आने की अनुमति नहीं देते हैं।”


