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झूठ बोलने का नोबेल मिले तो पीएम मोदी होंगे पहले दावेदार : संजय राउत

शिवसेना (यूबीटी) के नेता और सांसद संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। पत्रकारों से बातचीत में राउत ने कहा कि अगर झूठ बोलने के लिए नोबेल पुरस्कार शुरू हुआ तो पीएम मोदी इसके पहले दावेदार होंगे

झूठ बोलने का नोबेल मिले तो पीएम मोदी होंगे पहले दावेदार : संजय राउत
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मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) के नेता और सांसद संजय राउत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। पत्रकारों से बातचीत में राउत ने कहा कि अगर झूठ बोलने के लिए नोबेल पुरस्कार शुरू हुआ तो पीएम मोदी इसके पहले दावेदार होंगे।

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने 11 साल तक झूठ बोलकर सत्ता हासिल की और देश को आर्थिक, सामाजिक और सुरक्षा के मोर्चे पर कमजोर किया।

उन्होंने कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सही कहा है। पीएम मोदी ने झूठ बोलकर पहले सत्ता हासिल की और फिर 11 साल तक झूठ के सहारे सत्ता में टिके रहे। देश को क्या मिला? गरीब और गरीब हुआ, जबकि पीएम के करीबी 10-12 लोग अरबपति बन गए।"

संजय राउत ने बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा व्यवस्था के पतन और आतंकवाद बढ़ने का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान और चीन भारत को आंख दिखा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।

महाराष्ट्र की सियासत पर भी राउत ने तंज कसा। उन्होंने कहा कि भाजपा, अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना सभी अमित शाह के इशारे पर चल रही हैं। ये सब भाजपा की ही पार्टियां हैं। अमित शाह ही इनके असली अध्यक्ष हैं।

उन्होंने बीएमसी और आगामी विधानसभा चुनाव में महाविकास आघाडी (एमवीए) के मजबूती से उतरने का दावा किया। उन्होंने कहा, "हमारी चर्चा चल रही है। सही समय पर गठबंधन का ऐलान होगा और हम मजबूती से चुनाव लड़ेंगे।"

एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने पीएम मोदी की तारीफ की है, इस पर राउत ने नाराजगी जताई। सुले ने हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के लिए विदेशी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के बाद इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख लिखकर पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना की थी।

उन्होंने कहा, "सुप्रिया सुले को पीएम मोदी के नेतृत्व में कुछ गुण दिखे होंगे, हमें नहीं दिखते। यह उनका निजी विचार है, लेकिन देश अघोषित आपातकाल झेल रहा है। विपक्ष और उनकी पार्टियों को तोड़ा गया, सत्ता का दुरुपयोग किया गया। विपक्षी नेताओं को परेशान किया जा रहा है और सत्ता के दम पर पार्टियां तोड़ी जा रही हैं।"


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