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जम्मू-कश्मीर में शहीद अग्निवीर लवप्रीत सिंह का पैतृक गांव अकलिया में हुआ अंतिम संस्कार

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान पंजाब में मानसा जिले के अग्निवीर लवप्रीत सिंह (24) शहीद हो गए थे

जम्मू-कश्मीर में शहीद अग्निवीर लवप्रीत सिंह का पैतृक गांव अकलिया में हुआ अंतिम संस्कार
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मानसा (पंजाब)। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान पंजाब में मानसा जिले के अग्निवीर लवप्रीत सिंह (24) शहीद हो गए थे। शुक्रवार को उनके पैतृक गांव अकलिया में उनका अंतिम संस्कार किया गया। शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए। इस दौरान "शहीद लवप्रीत सिंह अमर रहे" के नारे भी लगाए गए और सेना के जवानों ने शहीद को अंतिम सलामी दी।

शहीद लवप्रीत सिंह की बहन ने उनके सेहरा सजाया। उनके पूरे गांव में माहौल गमगीन था। जिले की प्रमुख राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तियों के साथ-साथ समाजसेवियों ने भी शहीद की अंतिम यात्रा में भाग लिया और श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर शिरोमणि अकाली दल के प्रेम कुमार अरोड़ा और वी. राम सिंह सहित तमाम लोग मौजूद रहे। उन्होंने शहीद लवप्रीत सिंह की शहादत को सम्मानित करते हुए सरकार से अपील की कि अग्निवीर योजना को रद्द कर अग्निवीरों को स्थायी सैनिकों के समान सुविधाएं दी जाएं।

सिद्धू मूसे वाला के पिता बलकौर सिंह ने भी शहीद लवप्रीत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की और केंद्र सरकार से अपील की कि अग्निवीर योजना में बदलाव किया जाए ताकि छोटे किसानों और मजदूरों के बच्चों को बेहतर अधिकार मिल सके। उन्होंने कहा, "हम शहीद के दर्शन करके आए हैं। बहुत दुख का माहौल है। उनके परिवार वालों के लिए बहुत मुश्किल समय है। वह देश विरोधी ताकतों से लोहा लेते हुए शहीद हुआ है। इसके अलावा रही सही कसर सरकार की अग्निवीर योजना ने पूरी कर दी। ये बच्चे शुरुआत में जाते हैं और उतने ट्रेंड नहीं होते हैं। चार-पांच साल बाद ही ट्रेंड हो पाते हैं तब तक उनके बाहर होने का समय आ जाता है।"

शहीद लवप्रीत के दोस्त ने बताया, "हम सब बहुत दुखी हैं। लवप्रीत बहुत बहादुर था। उसने अपनी बहादुरी के दम पर ही सेना में जाने का निर्णय लिया था।"

शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रेम कुमार अरोड़ा ने कहा, "यह परिवार के लिए बहुत दुख की बात है। हमारा नौजवान शहीद हुआ है। देश की खातिर लवप्रीत ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उसके माता-पिता ने पढ़ा-लिखा कर अग्निवीर में भर्ती कराया। भर्ती होने के थोड़े ही दिन बाद उसकी शहादत हो गई। यह बहुत दुख की बात है। उसके परिवार ने अपने बेटे के लिए बड़े सपने देखे होंगे, आज सब चकनाचूर हो गए। हमारी सरकार से मांग है कि शहीद के परिवार के लिए एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दे और उसका स्मारक बनाया जाए।"


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