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कोलकाता: बलात्कार और हत्याकांड में दोषी को उम्रकैद की सजा

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त, 2024 को एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले दोषी को अदालत ने सजा सुना दी है

कोलकाता: बलात्कार और हत्याकांड में दोषी को उम्रकैद की सजा
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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त, 2024 को एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले दोषी को अदालत ने सजा सुना दी है.

कोलकाता की सियालदह अदालत के बाहर सोमवार सुबह से ही गहमागहमी थी, अदालत से कुछ दूरी पर दर्जन भर लोग दोषी 33 साल के संजय रॉय को फांसी की सजा देने की मांग कर रहे थे. पुलिस ने हाई प्रोफाइल मामले की सुनवाई को लेकर पुख्ता इंतजाम किए थे और अदालत परिसर के बाहर सैकड़ों पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे.

9 अगस्त, 2024 को हुई दिल दहलाने वाली घटना में सोमवार को सियालदह कोर्ट ने दोषी संजय रॉय को उम्र कैद की सजा सुनाई और उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. विशेष जज अनिर्बान दास ने अपने फैसले में कहा कि यह जघन्यतम अपराध की श्रेणी में नहीं आता, कोर्ट ने दोषी को मौत तक उम्रकैद की सजा देने का फैसला किया. जज दास ने कहा कि यह दुर्लभतम मामला नहीं है. मामले की जांच कर रही सीबीआई ने दोषी को मौत की सजा की मांग की थी. अदालत ने रॉय को 18 जनवरी को दोषी करार दिया था.

अदालत ने रॉय को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64 और 103 (1) के तहत दोषी ठहराया था. फैसला सुनाते हुए जज अनिर्बान दास ने कहा कि सीबीआई ने यौन शोषण और बलात्कार के जो सबूत पेश किए हैं, उनसे रॉय का अपराध साबित होता है.

ट्रेनी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के बाद कोलकाता में विरोध प्रदर्शन हुए थे और दो महीने से ज्यादा समय तक राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं बाधित रहीं. इस मामले ने भारत में कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े किए थे. देश के अलग-अलग शहरों के अलावा विदेश में भी पीड़िता को इंसाफ देने के लिए प्रदर्शन हुए थे.

परिवार को मुआवजा

सियालदह अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया. सजा सुनाए जाने से पहले रॉय ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उसे फंसाया जा रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने अदालत की कार्रवाई पर अपनी रिपोर्ट में लिखा कि रॉय ने अदालत से कहा, "मैंने कुछ नहीं किया, ना ही बलात्कार, ना ही हत्या. मुझे झूठा फंसाया जा रहा है. आपने सब कुछ देखा है. मैं निर्दोष हूं. मैंने आपको पहले ही बताया था कि मुझे प्रताड़ित किया गया. उन्होंने मुझसे जो चाहा, उस पर हस्ताक्षर करवाए."

सजा सुनाए जाने से पहले रॉय के वकील ने मौत की सजा के खिलाफ तर्क दिया था कि अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि रॉय "सुधार के लायक नहीं है और उसे समाज से पूरी तरह से खत्म कर दिया जाना चाहिए." सीबीआई ने अदालत से रॉय के लिए फांसी की सजा की मांग करते हुए कहा था कि वह समाज में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए कड़ी से कड़ी सजा का अनुरोध करते हैं, वहीं पीड़िता के माता-पिता ने दोषी के लिए मौत की सजा की मांग थी. सीबीआई ने अपनी जांच में 120 गवाहों के बयान दर्ज किए थे और उसने अपनी जांच में पाया था कि पीड़िता की मौत गला घोंटने से हुई थी.

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सदमे में पीड़ित परिवार

सजा सुनाए जाने के बाद पीड़िता के माता-पिता ने मीडिया से कहा है कि वे दोषी को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने दावा किया कि जांच अधूरे मन से की गई और अपराध में शामिल कई और दोषियों को बचाया गया. उन्होंने कहा कि वे इंसाफ के लिए हाई कोर्ट जाएंगे.

पीड़िता की मां ने कहा, "हम स्तब्ध हैं. यह दुर्लभतम मामलों में से दुर्लभतम क्यों नहीं है? ड्यूटी पर मौजूद एक डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई. हम निराश हैं. इस अपराध के पीछे एक बड़ी साजिश थी." पीड़िता के पिता ने कहा कि जब तक सभी दोषियों को सजा नहीं जाती वह अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.

अस्पताल में हुई थी ट्रेनी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में 9 अगस्त, 2024 को 31 वर्षीय महिला डॉक्टर का शव मिलने के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. महिला डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के आरोप में संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया था. देशभर के डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन के बाद मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया था.

महिला डॉक्टर के साथ हुई घटना के बाद देशभर के कई शहरों में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स एसोसिएशन ने हड़ताल की थी, जिससे चिकित्सा सेवाएं बाधित हुईं. महिला डॉक्टर के साथ जो अपराध हुआ उसके विरोध में आम लोग भी सड़क पर उतर आए और पीड़ित परिवार के लिए इंसाफ की मांग की.

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भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा

महिलाओं के खिलाफ हिंसा भारत की एक बड़ी समस्या है. 2022 में औसतन हर दिन 90 बलात्कार के मामले दर्ज हुए. बहुत से लोग कोलकाता की घटना की तुलना 2012 के निर्भया कांड से कर रहे हैं. एक तथ्य यह भी है कि बलात्कार जैसे अपराधों के कम ही मामलों में दोष साबित होता है या फिर दोषी को सजा मिलती है.

केंद्र सरकार ने कई तरह के नए अपराधों की श्रेणी बनाई है और इसमें छेड़छाड़ और पीछा करने जैसे अपराध भी शामिल हुए हैं. यहां तक कि मामला दर्ज करने में आनाकानी या फिर इसके लिए मना करने वाले अधिकारियों को भी जेल भेजा जा रहा है.

साल 2023 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 के मुकाबले 2022 में महिलाओं के प्रति अपराध में चार प्रतिशत का इजाफा हुआ. देश में अपराध के 58 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जिनमें महिलाओं के प्रति अपराध के करीब साढ़े चार लाख मामले थे. मतलब हर घंटे औसतन करीब 51 एफआइआर दर्ज हुई.


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