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सेना की मदद से रौशन हुआ कश्मीर का सीमावर्ती सिमारी गांव

कश्मीर की दुर्गम कर्नाह घाटी में बसे सीमावर्ती गांव सिमारी की पहचान अब तक उसकी दुर्गमता और अंधेरे से थी। सेना की मदद से अब यहां एक बड़ा परिवर्तन आया है

सेना की मदद से रौशन हुआ कश्मीर का सीमावर्ती सिमारी गांव
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नई दिल्ली। कश्मीर की दुर्गम कर्नाह घाटी में बसे सीमावर्ती गांव सिमारी की पहचान अब तक उसकी दुर्गमता और अंधेरे से थी। सेना की मदद से अब यहां एक बड़ा परिवर्तन आया है। यहां सेना ने सौर ऊर्जा से न केवल सभी घरों को रौशन किया बल्कि जिंदगियों को भी बदल डाला है।

देश के लोकतंत्र में भी इस गांव का खास स्थान है। देश का पहला मतदान केंद्र (बूथ नंबर 1) यहीं है। यह इस बात का गवाह है कि भारतीय लोकतंत्र अपनी सीमाओं के अंतिम छोर तक भी पहुंचता है।

गौरतलब है कि पाकिस्तान की सीमा से सटे इस गांव का आधा हिस्सा पड़ोसी देश से साफ दिखता है। अब तक यहां अंधेरा एक सामान्य स्थिति थी। बिजली की अनियमित आपूर्ति के कारण लोग केरोसिन और लकड़ी पर निर्भर थे। बच्चे धुंधली रोशनी में पढ़ते थे और सूरज डूबते ही कामकाज रुक जाते थे।

गांववालों की गुहार पर भारतीय सेना की चिनार कोर ने ‘ऑपरेशन सद्भावना’ के तहत पुणे स्थित असीम फाउंडेशन के साथ मिलकर एक ऐसा समाधान तैयार किया, जिसने न केवल घरों को रौशन किया बल्कि जिंदगियों को भी बदल डाला। सेना के मुताबिक, अब इस गांव को चार सौर ऊर्जा क्लस्टरों में बांटा गया है, जहां उन्नत सोलर पैनल, इन्वर्टर और बैटरी बैंक लगाए गए हैं जो 24 घंटे बिजली सुनिश्चित करते हैं। अब गांव के सभी 53 घरों में एलईडी लाइटें हैं।

यहां कुल 347 लोग रहते हैं जिनके लिए सुरक्षित पावर सॉकेट और ओवरलोड से बचाने के लिए लिमिटर्स लगाए गए हैं। नए एलपीजी कनेक्शन और डबल बर्नर स्टोव ने लकड़ी के चूल्हों पर निर्भरता समाप्त कर दी है। इससे धुएं से होने वाली बीमारियों में गिरावट आई है और घाटी के पर्यावरण की रक्षा हुई है। इतना ही नहीं, असीम फाउंडेशन के इंजीनियरों ने स्थानीय युवाओं को इस प्रणाली का रख-रखाव सिखाया है, जिससे यह गांव लंबे समय तक आत्मनिर्भर बना रहेगा।

सेना का कहना है कि यह परियोजना शौर्य चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित कर्नल संतोष महाडिक को समर्पित है। कर्नल महाडिक ने 17 नवम्बर 2015 को कुपवाड़ा जिले में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। जम्मू-कश्मीर के लोगों के प्रति उनके प्रेम और निर्भीक नेतृत्व के लिए उन्हें आज भी सम्मानपूर्वक याद किया जाता है।

दिवंगत अधिकारी की मां इंदिरा महाडिक, टंगधार ब्रिगेड के कमांडर और कुपवाड़ा के डिप्टी कमिश्नर के साथ मिलकर इस सौर ऊर्जा नेटवर्क का शुभारंभ करेंगी।

सेना और सरकार के लिए यह गांव केवल एक बसावट नहीं, बल्कि एक उम्मीद की किरण बन गया है। कर्नल महाडिक की विरासत हर जगमगाते कमरे, हर सुरक्षित भोजन और हर डाले गए वोट में जीवित है। यह वह रौशनी जो अब कभी नहीं बुझेगी।


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