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कैलाश गहलोत ने दिल्ली विधानसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफा

दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत ने बुधवार को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल को भेजा है। उन्होंने पत्र में लिखा कि आम आदमी पार्टी (आप) अपने नैतिक मूल्यों से भटक गई थी और उसके साथ अब आगे बढ़ना काफी मुश्किल हो गया था

कैलाश गहलोत ने दिल्ली विधानसभा की सदस्यता से दिया इस्तीफा
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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत ने बुधवार को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल को भेजा है। उन्होंने पत्र में लिखा कि आम आदमी पार्टी (आप) अपने नैतिक मूल्यों से भटक गई थी और उसके साथ अब आगे बढ़ना काफी मुश्किल हो गया था।

दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत ने अपने पत्र में एक बार फिर आम आदमी पार्टी (आप) पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस दिन मैंने मंत्री पद छोड़ा, उसी दिन मैंने आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था। कैलाश गहलोत ने यह भी बताया कि उन्होंने पार्टी और मंत्री पद छोड़ने से जुड़ा एक पत्र आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भेज दिया था।

दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में कैलाश गहलोत ने लिखा, "जैसा कि आप जानते होंगे कि मैंने 17 नवंबर को जीएनसीटीडी मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। उसी दिन मैंने आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था। इस निर्णय के लिए मेरे अधिकांश कारण 17 नवंबर के पत्र में साझा किए गए हैं, जो मैंने अरविंद केजरीवाल को भेजा था और वही इसके साथ संलग्न है।"

कैलाश गहलोत ने पत्र में आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा, "मुख्य कारण यह था कि आप ने अपने नैतिक मूल्यों से भटकना शुरू कर दिया था, जिससे मेरे लिए पार्टी में रहना मुश्किल हो गया था। मैं अब दिल्ली विधानसभा से अपना इस्तीफा देता हूं। इसे तत्काल प्रभाव से स्वीकार किया जा सकता है।"

इससे पहले 18 नवंबर को नजफगढ़ से विधायक और दिल्ली सरकार में मंत्री रहे कैलाश गहलोत आम आदमी पार्टी (आप) छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। कैलाश गहलोत ने कहा था, "मैंने आजतक किसी के दवाब में कोई काम नहीं किया है। जितनी भी ऐसी बातें सुनने में आ रही है कि मैंने ये सीबीआई के दवाब में ऐसा किया या किसी और दवाब में किया, ये गलत है। यह निर्णय एक दिन का नहीं है। हजारों लोग अन्ना के आंदोलन के बाद एक विचारधारा से जुड़े, मेरा राजनीति में आने का मकसद लोगों की सेवा करना है। लेकिन, जिन मूल्यों के लिए आम आदमी पार्टी ज्वाइन किया था, उनका पतन देखा तो मैं दंग रह गया।"


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