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झारखंड की हेमंत सरकार ने किसानों से छल किया : बाबूलाल मरांडी

झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर किसानों से वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया है

झारखंड की हेमंत सरकार ने किसानों से छल किया : बाबूलाल मरांडी
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रांची। झारखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार पर किसानों से वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने शुक्रवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि हेमंत सोरेन ने चुनाव के पहले वादा किया था कि किसानों से 3,200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान की खरीद की जाएगी, लेकिन आज उनसे मात्र 2,400 रुपए क्विंटल के हिसाब से खरीदारी की जा रही है।

मरांडी ने कहा कि यह किसानों के साथ सरासर नाइंसाफी है। पिछले दो वर्षों के सुखाड़ के बाद राज्य में इस वर्ष धान की अच्छी फसल हुई है। किसानों को अपनी मेहनत का अच्छा लाभ मिलने की उम्मीद राज्य सरकार से थी, लेकिन वह तो अपने किए वादे से भी मुकर गई है।

राज्य में धान खरीद की पूरी प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि कहने को सरकार ने 60 लाख क्विंटल धान खरीद का लक्ष्य रखा है, लेकिन स्थिति ऐसी है कि अभी तक जिलों में लक्ष्य के अनुसार धान क्रय केंद्र ही नहीं खोले गए हैं। अफसरशाही इतनी हावी है कि वित्त मंत्री अपने क्षेत्र से धान क्रय केंद्र का बिना उद्घाटन किए ही बैरंग लौट गए। राज्य में जहां धान क्रय केंद्र खोले गए थे, उनमें से कई स्थानों पर ताले लटक रहे हैं।

मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार लक्ष्य का 15 प्रतिशत धान भी अब तक नहीं खरीद सकी है। कई स्थानों पर किसानों के धान को गीला बताकर प्रति क्विंटल 10 से 15 किलो की कटौती कर ली जा रही है। धान खरीद की पूरी प्रक्रिया को जटिल बना दिया गया है।

भाजपा नेता ने कहा कि राज्य सरकार की उदासीनता के कारण दलाल और बिचौलिए सक्रिय हैं। वे राज्य के धान उत्पादकों से औने-पौने दाम पर खरीदारी कर रहे हैं। जिन किसानों ने बड़ी मेहमत से फसल उपजाई, वे सरकारी रेट 2,400 से काफी कम 1,800 से 1,900 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान बेचने को मजबूर हैं। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ के दलाल और बिचौलिए धान खरीद के लिए बाइक से गांव-गांव घूम रहे हैं।

मरांडी ने कहा कि झारखंड के किसान खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं हैं। एकमात्र धान ही ऐसी फसल है, जिसे एमएसपी पर बेचकर किसानों को कुछ सम्मानजनक राशि मिल सकती है। लेकिन, अब तो राज्य सरकार लगातार किसानों को निराश करने में लगी है।


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