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झारखंड नगर निकाय चुनाव जल्द कराए नहीं तो केंद्रीय सहायता राशि लैप्स होगी : डॉ. अरविंद पनगढ़िया

झारखंड के दौरे पर आई 16वें वित्त आयोग की टीम ने राज्य में नगर निकायों के लंबित चुनाव जल्द कराए जाने की जरूरत पर जोर दिया है

झारखंड नगर निकाय चुनाव जल्द कराए नहीं तो केंद्रीय सहायता राशि लैप्स होगी : डॉ. अरविंद पनगढ़िया
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रांची। झारखंड के दौरे पर आई 16वें वित्त आयोग की टीम ने राज्य में नगर निकायों के लंबित चुनाव जल्द कराए जाने की जरूरत पर जोर दिया है। आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि चुनाव लंबित रहने की वजह से राज्य को केंद्र की ओर से बड़ी सहायता राशि नहीं मिल पाई है।

आयोग ने शुक्रवार को राज्य सरकार, स्थानीय निकायों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इसके बाद एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आयोग के अध्यक्ष डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि झारखंड सरकार यदि दिसंबर तक स्थानीय नगर निकायों का चुनाव करा लेती है, तो पिछले वित्तीय वर्षों की बकाया राशि भी मिल जाएगी, अन्यथा इससे राज्य को करीब 1,500 करोड़ रुपए की राशि से वंचित रहना पड़ सकता है।

झारखंड को विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज के संबंध में पूछे जाने पर डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि यह वित्त आयोग का विषय नहीं है। उन्होंने कहा कि अनुदान की राशि केंद्रीय बजट से राज्यों को सशर्त प्राप्त होती है, इसलिए इसके भुगतान में विलंब पर आयोग का कोई सीधा नियंत्रण नहीं है।

डॉ. पनगढ़िया ने कहा कि वित्त आयोग निर्धारित फार्मूले के आधार पर कार्य करता है। इन्हीं फार्मूलों के आधार पर राजस्व बंटवारे और आर्थिक अनुदान को लेकर आयोग अपनी सिफारिशें करता है। झारखंड सरकार ने आयोग से कहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्य के राजस्व का नुकसान हो रहा है। सरकार ने इस नुकसान की भरपाई के लिए फार्मूले में बदलाव की मांग की है।

इस संबंध में आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि यह झारखंड की नई मांग है। आयोग ने राज्य में कई क्षेत्रों में वित्तीय प्रबंधन पर संतोष जाहिर किया। वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों का ऑडिट लंबे समय से लंबित रहने पर चिंता जताई।

आयोग के अध्यक्ष ने इस पर टिप्पणी से इनकार कर दिया कि राज्य में किस क्षेत्र में वित्तीय प्रबंधन कमजोर है या किन क्षेत्रों में अतिरिक्त मदद की जरूरत है। इसके पहले आयोग के साथ बैठक में राज्य सरकार की ओर से केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी को 41 प्रतिशत से बढ़ाकर 55 प्रतिशत करने की मांग उठाई गई। इस पर वित्त आयोग ने विचार करने का भरोसा दिलाया है।


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