Top
Begin typing your search above and press return to search.

झारखंड : चुनावी अभियान में छाए रहे ‘रोटी, बेटी, माटी’ और आदिवासी पहचान से जुड़े मुद्दे

81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों ने अपने-अपने एजेंडे को धार देने और मतदाताओं को प्रभावित करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी

झारखंड : चुनावी अभियान में छाए रहे ‘रोटी, बेटी, माटी’ और आदिवासी पहचान से जुड़े मुद्दे
X

रांची, 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए हो रहे चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधनों ने अपने-अपने एजेंडे को धार देने और मतदाताओं को प्रभावित करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। चुनाव की घोषणा के बाद पूरे 35 दिनों तक चले प्रचार अभियान के दौरान दोनों गठबंधनों के स्टार प्रचारकों ने तकरीबन 500 से ज्यादा बड़ी सभाएं और रैलियां की। पूरे चुनावी अभियान के दौरान ‘रोटी, बेटी, माटी’ की सुरक्षा, आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड एवं उनकी पहचान-अस्मिता से जुड़े मुद्दे छाए रहे। इस चुनाव में लोकलुभावन योजनाओं को भी भुनाने की भरपूर कोशिश की गई है।

झारखंड के अलग राज्य के तौर पर अस्तित्व में आने के बाद यह पांचवां विधानसभा चुनाव है। यह पहली बार है, जब बांग्लादेशी घुसपैठ यहां सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया। इसके पहले के चुनावों में इसकी चर्चा तक नहीं होती थी। यह मुद्दा भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इस साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी उठाया था, लेकिन तब यह बहुत असरदार साबित नहीं हो पाया।

इसके बाद विधानसभा चुनाव के अभियान के दौरान भाजपा ने इस मुद्दे को बेहद आक्रामक तरीके से उठाया। चुनाव की घोषणा के 13 दिन पहले 2 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हजारीबाग आए और यहां आयोजित जनसभा में उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ को झारखंड के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए ‘रोटी, बेटी, माटी’ बचाने का नारा दिया। इसके बाद भाजपा ने इसे मुख्य चुनावी स्लोगन बना लिया।

इसके पहले सितंबर महीने में झारखंड हाईकोर्ट ने संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ रोकने की मांग को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले में केंद्र और राज्य की संयुक्त कमेटी बनाने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले से भारतीय जनता पार्टी को घुसपैठ के मुद्दे को धार देने में और मदद मिली। पूरे चुनावी अभियान के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने झारखंड में छह सभाएं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 16 सभाएं की। उन्होंने हर सभा में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा सबसे प्रमुखता के साथ उठाया और इसके लिए सीधे तौर पर झामुमो, कांग्रेस, राजद गठबंधन सरकार को जिम्मेदार ठहराया। इनके अलावा पूरे चुनाव के दौरान झारखंड में कैंप करने वाले असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान एक-एक विधानसभा तक गए और हर स्तर पर यह मामला उठाया। इस बीच यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी करीब दस सभाएं की और उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को ‘बंटोगे तो कटोगे’ के अपने बहुचर्चित नारे के साथ जोड़ दिया।

भाजपा के आक्रामक प्रचार की वजह से ‘इंडिया’ ब्लॉक के नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन को भी बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर बोलना पड़ा। उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की। इन नेताओं का कहना था कि एक तो बांग्लादेश की सीमा सीधे झारखंड से नहीं लगती और दूसरी बात यह कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर घुसपैठ रोकने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, न कि राज्य सरकार की।

घुसपैठ के मुद्दे के मुकाबले झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने आदिवासियों के सरना धर्म कोड का मामला उठाया। झारखंड में रहने वाले ज्यादातर आदिवासी ‘सरना’ धर्म के अनुयायी हैं, लेकिन जनगणना के फॉर्म में वे अपना धर्म नहीं दर्ज कर पाते। फॉर्म में धर्म बताने वाले कॉलम में सरना या आदिवासी के लिए कोई कोड या ऑप्शन नहीं होता। झारखंड के आदिवासी अपनी इस धार्मिक पहचान के लिए लंबे समय से आंदोलन करते रहे हैं।

हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने वर्ष 2022 में झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में आदिवासियों के लिए जनगणना फ़ॉर्म में सरना धर्मकोड की व्यवस्था करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र के पास भेजा था। चुनाव प्रचार के दौरान हेमंत सोरेन और उनके गठबंधन के नेताओं ने यह मामला जोर-शोर से उठाया और इसे रोकने के लिए भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराया। भाजपा के नेता प्रचार अभियान के दौरान इसपर बोलने से बचते रहे। हालांकि प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल पूछे जाने पर अमित शाह सहित अन्य भाजपा नेताओं का जवाब था कि इस मुद्दे पर विचार विमर्श के बाद उचित निर्णय लिया जाएगा।

चुनावी अभियान में हेमंत सोरेन सरकार की ओर से 18 से 50 साल की उम्र तक की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए देने वाली ‘मंईयां सम्मान योजना’ की जबरदस्त चर्चा रही। इस योजना के तहत चार महीनों से 57 लाख महिलाओं के खाते में सीधे पैसे भेजे जा रहे हैं और ‘इंडिया’ ब्लॉक ने इसे सबसे बड़ा चुनावी हथियार बनाने की कोशिश की। इसके जवाब में भाजपा ने ‘गोगो दीदी योजना’ लाने का ऐलान करते हुए वादा किया कि सरकार बनने पर महिलाओं को हर माह 2100 रुपए दिए जाएंगे। हेमंत सरकार को भाजपा की इस योजना की भनक लग चुकी थी और चुनाव की घोषणा के ठीक पहले आखिरी कैबिनेट में उसने मंईयां सम्मान योजना’ की राशि 1000 से बढ़ाकर 2500 रुपए करने पर मुहर लगा दी। रियायती दर पर गैस सिलेंडर, बेरोजगारी भत्ता जैसी घोषणाओं को भी दोनों ओर से खूब जोर-शोर से प्रचारित किया गया।

यह देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड की जनता ने मतदान करते हुए इनमें से किन मुद्दों का सबसे ज्यादा ध्यान रखा।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it