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भाजपा-आरएसएस की घृणा की राजनीति से लड़ना ज़रूरी : खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि पार्टी को मजबूत करने के साथ ही भाजपा आरएसएस की नीतियों से देश को बचाना है

भाजपा-आरएसएस की घृणा की राजनीति से लड़ना ज़रूरी : खरगे
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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि पार्टी को मजबूत करने के साथ ही भाजपा आरएसएस की नीतियों से देश को बचाना है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सिद्धांत के अनुसार गांव के गरीब को हक देकर उसे मजबूत बनाना है।

उन्होंने कहा कि आप सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को कांग्रेस का देश की एकता और मजबूती का संदेश हर कोने में जन-जन तक पहुंचना है और कांग्रेस संगठन निर्माण के कार्य को आगे बढ़ाना है और काँग्रेस को और मजबूत बनाने का काम करना है।

श्री खरगे ने कहा “आज संसद का बजट सत्र समाप्त हुआ। सरकार की प्राथमिकता जनता की भलाई के मुद्दे और देश की तरक्की नहीं, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण है। यह सरकार रात के चार बजे तक संसद महँगाई बेरोज़गारी, अमेरीका के टैरिफ के ख़िलाफ़ बहस करने के लिए नहीं चलाती है। रात के अंधेरे में मणिपुर पर बहस कराती है ताकि चुपके से वैधानिक काम हो सके। क्या मणिपुर के मुद्दे पर बहस सिर्फ़ एक घंटे की ही होना चाहिए था।”

उन्होंने कहा “जिला अध्यक्षों की हमारी यह तीसरी और आख़िरी मीटिंग है। इससे पहले 22 राज्यों और 6 केन्द्र शासित प्रदेशों के जिला अध्यक्षों की बैठक ले चुके हैं। हमें भाजपा आरएसएस की जन विरोधी और संविधान विरोधी सोच के खिलाफ लगातार संसद के अंदर और बाहर लड़कर जनता के मुद्दों को उठाना है। राहुल जी ने पिछले लोकसभा चुनाव के पहले भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से संविधान बचाओ मुहीम खड़ी जिसको और शक्ति देना जारी रखना है। इसी मुहीम ने भाजपा को बहुमत से रोक दिया।”

श्री खरगे ने कहा “यह साल महात्मा गांधी जी के काँग्रेस अध्यक्ष बनने की शताब्दी है। बेलगावी में अधिवेशन में हमने 2024-25 को 'संगठन सशक्तिकरण' वर्ष मनाने का फैसला किया था। गांधी जी ने 1931 में लंदन में हुए गोल मेज सम्मेलन में कहा 'कांग्रेस कोटि कोटि भूखे नंगे मूक प्राणियों का प्रतिनिधित्व करती है। उनकी प्रतिनिधि जो हमारे लंबे चौड़े देश में दूर दराज के गांवों में रहते हैं। कांग्रेस इन कोटि कोटि भूखे नंगों के वास्ते अन्य सब हितों का बलिदान कर देगी।” गांधी जी ने यह बात उन गांव, देहात, कमजोर तबकों के लोगों के लिए कही थी जिनकी आवाज कांग्रेस बनी।मौजूदा सरकार ग़रीब, दलित, आदिवासी, पिछड़ों के अधिकारों के ख़िलाफ़ है इसलिए हमें ज़्यादा मजबूती से लड़ने की आवश्यकता है।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा पर ध्रुवीकरण की राजनीतिक करने का आरोप लगाते हुए कहा “बढती सांप्रदायिकता औऱ घृणा अभियान आज की सबसे बडी चुनौती है। इससे हमें वैसे ही लड़ना है जैसे 1947-48 में कांग्रेस लड़ी थी। गांधी जी के जीवन के आखिरी दिनों में 15 से 17 नवंबर 1947 को हुई कांग्रेस की बैठक में सांप्रदायिक संस्थाओं के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ था। उस बैठक में गांधीजी ने कहा था कि “कांग्रेस पूरे देश और सभी संप्रदायों की सेविका है।

सांप्रदायिक संस्थाओं और उनके विषैले सिद्धांतों का उचित उत्तर यह होगा कि कांग्रेस प्रबल जनमत तैयार करे, जिससे वे प्रभावहीन हो जायें। आज वही स्थिति है। हमारी सबसे बड़ी जंग सांप्रदायिक शक्तियों से हैं जो समाज के भीतर जहर फैलाने में लगी हैं, सत्ता के लालचमें एक ही धर्म के लोगों के बीच भी खाई खोदी जा रही है, भाई से भाई को लड़ाने में लगी है। हमारे पास राष्ट्रपिता महत्मा गांधी जी और हमारे महान नायकों का बताया रास्ता है।”


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