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आजादी चंद नेताओं ने नहीं, आम आदमी ने दिलाई : प्रफुल्ल पटेल

एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने देश को आजादी दिलाने के कांग्रेस के दावे को खारिज करते हुए राज्यसभा में कहा कि देश की आजादी के लिए लड़ने वाली कांग्रेस कोई राजनीतिक पार्टी नहीं थी

आजादी चंद नेताओं ने नहीं, आम आदमी ने दिलाई : प्रफुल्ल पटेल
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नई दिल्ली। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने देश को आजादी दिलाने के कांग्रेस के दावे को खारिज करते हुए सोमवार को राज्यसभा में कहा कि देश की आजादी के लिए लड़ने वाली कांग्रेस कोई राजनीतिक पार्टी नहीं थी। राजनीतिक कांग्रेस पार्टी का जन्म आजादी के बाद हुआ है।

संविधान की 75 साल की यात्रा पर सदन में आज शुरू हुई चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि देश को आजादी कुछ चंद नेताओं ने नहीं दिलाई। देश को आजादी इस देश के आम लोगों ने दिलाई है। सुखदेव ने, भगत सिंह ने, बिरसा मुंडा जैसे लोगों ने आजादी दिलाई है। प्रफुल्ल पटेल ने ये बातें कांग्रेस सांसदों द्वारा दिए गए वक्तव्य के जवाब में कही।

एनसीपी नेता ने कहा, "हम भी पहले कांग्रेस के साथ थे, हमारे पिता भी आजादी की लड़ाई में शामिल थे। कांग्रेस पार्टी तो आजादी के बाद बनी है। आजादी की कांग्रेस कोई राजनीतिक पार्टी नहीं थी। वह एक स्वाधीनता आंदोलन था। देश के आम आदमी ने आजादी दिलाई। यदि आम आदमी आंदोलन से नहीं जुड़ते तो आजादी नहीं मिलती।"

प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि पूरे देश की एकता के पीछे केवल और केवल हमारे संविधान की शक्ति है। हमारे पड़ोस के मुल्कों को भी हमारे साथ ही आजादी मिली। उसके बाद उन्होंने भी संविधान बनाया। लेकिन उनकी संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं नहीं टिक पाईं। भारत में संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की इस मजबूती का श्रेय उन्होंने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को दिया।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को यदि कोई सबसे बड़ा धब्बा लगा था तो वह 1975 से 1977 के बीच आपातकाल के दौरान लगा था। आपातकाल के दौरान लोगों को उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा गया। लोगों को पकड़-पकड़ कर जेल में डाला जाता था। लोग खेतों में छुपते थे क्योंकि उन्हें जबरन नसबंदी का डर था।

एनसीपी सांसद ने तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष के नेता जाति जनगणना की बात करते हैं। एससी/एसटी का आरक्षण हमारे संविधान का हिस्सा है। देश की सामाजिक व्यवस्था को देखकर मंडल आयोग का गठन हुआ था। मंडल आयोग की सिफारिश किसने स्वीकार की। राजीव गांधी की सरकार में मंडल आयोग की सिफारिश संसद में रखी गई थी, लेकिन विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में इन सिफारिशों को स्वीकार किया गया।

प्रफुल्ल पटेल ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कहा कि जो लोग संविधान की किताब लेकर घूमते हैं, जाति जनगणना की बात करते हैं, उन्हें मालूम होना चाहिए कि इन जनजातियों को अधिकार देने का काम कब हुआ था और किसके द्वारा हुआ था।


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