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देश धर्मनिरपेक्ष है तो वक्फ बोर्ड की जरूरत क्यों : स्वामी दीपांकर

स्वामी दीपांकर अक्सर अपने बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं। रविवार को उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक पर बात की और सवाल किया कि यदि देश धर्मनिरपेक्ष है, तो वक्फ बोर्ड की जरूरत क्यों है?

देश धर्मनिरपेक्ष है तो वक्फ बोर्ड की जरूरत क्यों : स्वामी दीपांकर
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नई दिल्ली। स्वामी दीपांकर अक्सर अपने बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं। रविवार को उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक पर बात की और सवाल किया कि यदि देश धर्मनिरपेक्ष है, तो वक्फ बोर्ड की जरूरत क्यों है?

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर हिंदू संगठनों ने एकसाथ हुंकार भरी। उन्होंने न सिर्फ विधेयक का समर्थन किया बल्कि वक्फ बोर्ड को पूरी तरह खत्म करने की मांग की। हिंदू संगठनों के बैनर पर लिखा था - "सभी समान हैं तो वक्फ क्यों?"

जंतर-मंतर पर आयोजित महापंचायत में शामिल होने के बाद स्वामी दीपांकर ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात की। उन्होंने कहा कि अगर देश धर्मनिरपेक्ष है तो वक्फ बोर्ड की जरूरत कहां से आ गई? धर्मनिरपेक्ष देश में वक्फ बोर्ड की क्या जरूरत है? इसे तुरंत समाप्त कीजिए। वक्फ बोर्ड असंवैधानिक है। इसे खत्म करने की मांग को लेकर आज यहां हजारों लोग एकत्र हुए हैं। सरकार ने वक्फ बोर्ड के नियम में संशोधन किया है। हम उनके साथ थे। मेरी यही प्रार्थना है कि इसे खत्म किया जाए।

बता दें कि लोकसभा में लंबित वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विपक्षी दल लगातार विरोध जता रहे हैं।

सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 को लेकर कहा है कि यह बिल मुस्लिमों की धार्मिक आजादी पर हमला है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि यह बिल वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को सदस्य बनाकर इसके प्रशासन में बाधा डालता है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 26 और 225 का उल्लंघन है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब दूसरे धर्मों के बोर्ड में सिर्फ उसी धर्म के लोग सदस्य बन सकते हैं, तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम क्यों?

ओवैसी ने कहा, "यह बिल वक्फ की सुरक्षा या अतिक्रमण हटाने के लिए नहीं, बल्कि मुस्लिमों को उनकी धार्मिक प्रथाओं से दूर करने के लिए लाया गया है।" उनका दावा है कि भाजपा, केंद्र सरकार और आरएसएस का मकसद मुस्लिमों को उनके धर्म से अलग करना है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि संभल की मस्जिद और दिल्ली की संसद के पास की मस्जिद को सरकारी संपत्ति बताकर खतरे में डाला जा सकता है।


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