Top
Begin typing your search above and press return to search.

अयोध्या विवाद का समाधान निकालने के लिए मैंने भगवान से की थी प्रार्थना : चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मैं प्रतिदिन भगवान की पूजा करता हूं और मैंने अयोध्या विवाद का समाधान निकालने के लिए भगवान से प्रार्थना की थी

अयोध्या विवाद का समाधान निकालने के लिए मैंने भगवान से की थी प्रार्थना : चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
X

पुणे। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मैं प्रतिदिन भगवान की पूजा करता हूं और मैंने अयोध्या विवाद का समाधान निकालने के लिए भगवान से प्रार्थना की थी।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पुणे जिले के खेड़ तालुका में स्थित अपने पैतृक गांव में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कई बार ऐसा होता है कि हमारे पास केस है, मगर उसका समाधान नहीं मिल पाता है। अयोध्या विवाद में भी कुछ ऐसा ही हुआ है, यह मामला लगभग तीन महीनों तक मेरे पास था। मैं भगवान के सामने बैठा और उन्होंने मेरे लिए भी एक रास्ता ढूंढ लिया।

उन्होंने कहा कि मैं प्रतिदिन भगवान की पूजा करता हूं और उस दिन भी मैंने ऐसा ही किया। मैं परमेश्वर के सामने बैठ गया और उनसे कहा कि अब आप मेरे लिए रास्ता ढूंढें। अगर आपको उनमें विश्वास है, तो भगवान आपके लिए एक रास्ता खोज देंगे। उनके सामने मैंने एक सवाल किया कि इससे बाहर निकलने का रास्ता कैसे खोजा जाए? मैंने भगवान से प्रार्थना की और मामले का फैसला करने से पहले उनसे मदद मांगी।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि भगवान ने मेरे लिए भी एक रास्ता ढूंढ लिया। मैं हर जगह घूम चुका हूं। अनेक स्थानों के मंदिर देखे हैं। मुझे कन्हेरसर का श्री यामी देवी मंदिर बहुत पसंद है। श्री यामी देवी की कृपा से मैं भारत का मुख्य न्यायाधीश बन पाया। मुझे सम्मान देने के लिए मैं यहां के लोगों का आभारी हूं।

बता दें कि 9 नवंबर 2019 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, शरद बोबडे, धनंजय चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर की पांच जजों की बेंच ने अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने इसी साल अयोध्या के राम मंदिर का दौरा किया था और उन्होंने रामलला के दर्शन किए थे।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it